हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

नाहन में अनूठे तरीके से मनाया गया रक्षा बंधन, रियासतकाल की परंपरा आज भी कायम - पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं

नाहन में रक्षा बंधन के पर्व को एक अलग अंदाज में मनाया जाता है. नाहन शहर में रियासतकाल से ही राखी के दिन पतंगबाजी की परंपरा चली आ रही है. जिसे आज भी बखूबी निभाया जा रहा है.

Raksha Bandhan is celebrated with the tradition of kite flying in Nahan
फोटो

By

Published : Aug 3, 2020, 5:08 PM IST

नाहन: उत्तर भारत में ऐतिहासिक शहर नाहन में रक्षा बंधन का पर्व अनूठे तरीके से मनाया गया. नाहन में रक्षा बंधन पर रेशम की डोरी के साथ पतंग की डोरी भाई-बहन के इस पवित्र रिश्ते में अपना विशेष स्थान रखती है.

दरअसल 1621 में बसे इस ऐतिहासिक शहर में रक्षा बंधन के साथ आसमान में पतंग उड़ाने की परंपरा रियासत काल से चली आ रही है, जोकि आज भी जारी है. हालांकि समय के साथ-साथ पतंगबाजी में कुछ कमी जरूर आई हैं, लेकिन परंपरा आज भी कायम है. बरसों के चलते आ रहे भाई-बहन के पवित्र रिश्ते में यहां पतंग की डोरी ने भी अपनी पक्की जगह बना ली है. नाहन में रक्षा बंधन के दिन पहले भाइयों ने अपनी बहनों से राखी बंधवाई और बाद में घर की छत्तों पर जाकर पतंग उड़ाना शुरू किया, यह सिलसिला पूरा दिन जारी रहा.

वीडियो रिपोर्ट.

रियासतकाल से चली आ रही है परंपरा, महाराज भी करते थे पतंगबाजी

शहर में रियासतकाल से ही पतंगबाजी की परंपरा चली आ रही है. सिरमौर जिला जब एक रियासत थी, उस समय सिरमौर रियासत के राजा भी रक्षा बंधन पर पतंगबाजी करते थे. यही नहीं रियासत के दौरान पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती थी.

बोलो बे छोकरो काटे ओये से गूंजा नाहन

पतंगबाजी के दौरान जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की पतंग को काटता, तो इस दौरान बोलो बे छोकरो काटे ओये के जुमले गूंज रहे थे. यह जुमला पतंगबाजी की परंपरा की तरह बेहद पुराना है, जोकि आज भी कायम है.

क्या कहते हैं लोग?

स्थानीय निवासियों का कहना है कि रियासतकाल से ही पतंगबाजी की परंपरा चली आ रही है, जिसे यहां के लोग आज भी निभा रहे हैं. एक समय था, जब लोग खुद मांजा कूटते थे, खुद डोर को बनाते थे और पतंग भी खुद ही बनाते थे, लेकिन आजकल कोरोना के समय में थोड़ी दिक्कत जरूर आई है. जिसके चलते लोगों में इस बार पतंगबाजी को लेकर ज्यादा क्रेज नहीं देखा जा रहा. लड़कियां भी पतंगबाजी में अपने भाइयों का साथ देती है. आज भी लोग इसका भरपूर आनंद ले रहे हैं, यहां युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों में भी पतंगबाजी को लेकर बहुत उत्साह देखने को मिलता है.

स्थानीय युवाओं का कहना है कि आज रक्षा बंधन पर पतंगबाजी को लेकर उनमें खासा उत्साह है. यह प्रथा रियासकाल से चली आ रही है, जिसमें आज भी बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी हिस्सा लेते हैं. कोरोना के कारण थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन फिर भी लोगों में उत्साह काफी अधिक देखा जा रहा है.

कुल मिलाकर रियाससतकाल से चली आ रही रक्षा बंधन पर्व पर पतंगबाजी की परंपरा शहर के लोग आज भी निभा रहे हैं. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से थोड़ी कमी जरूर देखी गई, लेकिन फिर भी अधिकतर घरों की छतों पर युवाओं के साथ-साथ बच्चों के अलावा महिलाओं ने भी पतंगबाजी का खूब आनंद उठाया.

ये भी पढ़ें: दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को बताया प्रधानमंत्री, बाद में मांगी माफी

ABOUT THE AUTHOR

...view details