नाहन: कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा ने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाला है. खासकर बच्चों की आंखों व कानों पर इसका ज्यादा असर पड़ रहा है. यह दावा नाहन विकासखंड के तहत आने वाले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मोगीनंद के बच्चों द्वारा साइंस प्रवक्ता संजीव अत्री के नेतृत्व में साइंस कांग्रेस के लिए हाल ही में किए गए सर्वे में किया गया है. सर्वे में कई हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं.
दरअसल कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए सहारा तो बनी, मगर इसके नुकसान भी बहुत हुए हैं. बच्चों को मोबाइल की लत लग गई है. सर्वे के तहत मोगीनंद स्कूल के बच्चों ने ऑनलाइन शिक्षा के फायदे व नुकसान के बारे में जानकारी हासिल की.
विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री की देखरेख में स्कूल के 5 विद्यार्थियों सलोनी सिंह, गुंजन, रूपल, हिमांशु और रितिका ने कुल 120 अभिभावकों से ऑनलाइन पढ़ाई के संदर्भ में नफा-नुकसान के बारे में जानकारी हासिल की. सर्वे के बाद जो परिणाम सामने आए, वह हैरान करने वाले है.
सर्वे में सामने आया कि 7 विद्यार्थियों की आंखें कमजोर हुई, तो 3 विद्यार्थियों की सुनने की शक्ति में दिक्कत आई है. 11 विद्यार्थियों में आंखों में जलन, 9 में सिरदर्द, 11 को अनिद्रा की शिकायत हुई. इतना ही नहीं मोबाइल की लत लगने से बच्चों को भूख प्यास का भी ध्यान नहीं है. 12 ऐसे बच्चों की भूख कम हुई.
सर्वे में सबसे अधिक 41 बच्चे अनवांटेड एक्टिविटी जैसे फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम जैसी सोशल साइटों और गेम खेलने के आदी पाए गए. 82 फीसदी अभिभावक यह तक नहीं जानते कि बच्चे मोबाइल पर क्या करते हैं. कईयों की सुनने की शक्ति कमजोर हुई, तो कईयों की आंखें. बच्चे मोबाइल एडिक्शन डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं. इनमें चिड़चिड़ापन आ गया और वह अकेले में रहना पसंद करने लगे हैं.
पढ़ाई की जगह बच्चों का रुझान सोशल मीडिया और गेम खेलने की तरफ बढ़ा है. मोबाइल प्रयोग से दूर रखने व पुस्तकों में रुचि हेतु शुरू किया मुस्कान प्रोजेक्टसर्वे के बाद बच्चों को मोबाइल प्रयोग से दूर रखने व उनकी पुस्तकों में रुचि बढ़ाने हेतु प्रवक्ता संजीव अत्री की देखरेख में मुस्कान प्रोजेक्ट शुरू किया गया.
क्षेत्र के 8 गांव में मोगीनंद स्कूल के बच्चों द्वारा संचालित मुस्कान पुस्तकालय खोले गए हैं, जिसमें कॉमिक्स, ज्ञानवर्धक पुस्तकें, सांप-सीढ़ी लूडो जैसी सामग्री उपलब्ध करवाई गई हैं. बच्चे इसे पुस्तकालय से ले जाकर पढ़ सकते हैं और फिर वापस छोड़ सकते हैं. यह पुस्तकालय स्कूल के सर्वे करने वाले बच्चों के घर में ही बनाए गए हैं.
क्या कहते हैं स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए स्कूल के विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री ने कहा कि साइंस कांग्रेस के लिए स्कूल के बच्चों ने जो सर्वे किया, उसमें बहुत सारी चीजें हैरान करने वाले सामने आई है. स्कूल की पीटीएम के आधार पर 120 अभिभावकों के बीच जाकर यह सर्वे किया गया. बच्चों की आंखों व कानों में दिक्कत आई है. साथ ही अधिकतर बच्चे मोबाइल के आदी बन चुके हैं.
संजीव अत्री ने बताया कि इसका तोड़ निकालने के लिए मुस्कान प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसके तहत क्षेत्र के 8 गांव में 25-25 किताबें उपलब्ध करवाई गई है, ताकि बच्चों का ध्यान मोबाइल से हटकर किताबों की तरफ बढ़ सके.