नाहन: देवभूमि हिमाचल के जंगलों में औषधीय पौधों सहित जड़ी बूटियों का अपार खजाना मौजूद है लेकिन बिना दोहन के यह बेकार हो रहा है. हालांकि वन विभाग औषधीय पौधों पर गोलमोल जवाब देकर दोहन की बात तो कर रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है.
दरअसल सिरमौर जिला के मैदानी इलाकों में अमलतास जैसे औषधीय पौधे हैं, जो विभाग की सूची में न होने के कारण हर साल बर्बाद हो रहे हैं. अमलतास जिला के मैदानी क्षेत्रों में बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है लेकिन हर साल ये ऐसे ही सड़कों के किनारे बर्बाद हो जाता है. विभाग को इस तरह के पौधों की और भी ध्यान देने की जरूरत है. सड़क के हर मोड़ पर अमरतास के पेड़ लहराते हुए देखे जा सकते हैं.
यही नहीं सिरमौर जिला के अनेक जंगलों में भी दुर्लभ औषधीय पौधे पाए जाते हैं. विशेषकर गर्मियों और बरसात में ये पौधे निखर कर सामने आते हैं. इनमें कई पौधे ऐसे भी हैं, जोकि अनेक रोगों का रामबाण इलाज माने जाते हैं. जिला के जंगलों में आंवला, बेहड़ा, कश्मल जैसे औषधीय पौधे भी मिलते हैं. हालांकि इनके महत्व को देखते हुए वन विभाग इन पौधों का उचित दोहन करने की बात तो कहता है लेकिन जमीनी स्तर पर प्रयास नाकाफी दिखाई देते हैं.