राजगढ: जिला के राजगढ़ उपमंडल के अधिकतर क्षेत्रों में बेसहारा गौवंश स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं. आवारा पशु दिनभर सड़कों पर इधर-उधर घूमते हैं और रात के समय आसपास के खेतों में फसलों को बर्बाद कर देते हैं. ऐसे में क्षेत्र किसानों की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है. सर्दी का मौसम शुरू होते ही आवारा पशुओं की मुश्किलें शुरू हो जाती है और किसानों की लाखों की फसलें मिनटों में चट कर जाते हैं.
हर साल बर्फबारी व ठंड के कारण गिरिपार में दर्जनों गायों के अलावा अन्य आवारा पशुओं की मौत होती है. वहीं, कुछ आवारा पशु जंगली जानवरों के शिकार बन जाते हैं. अधिकतर क्षेत्रों में आवारा पशुओं की तादाद में पिछले कुछ वर्षों से भारी इजाफा हो रहा है .
बेसहारा गौवंश को संरक्षण देने के लिए कोटला बड़ोग में प्रदेश का सबसे बड़ा गौ सदन सरकारी स्तर पर खोला गया है, जिसमे लगभग 500 पशुओं को संरक्षण देने की व्यवस्था है. गिरीपूल के पास निजी क्षेत्र में हरि ओम गौशाला है, जो लगभग 100 बेसहारा गौवंश को संरक्षण दे रही है, मगर दोनों गौ सदन भर चुके हैं और सड़कों पर बेसहारा गोवंश की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. सरकार द्वारा सभी निजी पशुओं की टैगिंग पशु पालन विभाग के माध्यम से कर दी गई है. इसके बावजूद सड़कों पर भारी संख्या में आवारा पशुओं का आतंक कम नहीं हुआ है.
बेसहारा छोड़े गए पशुओं को संरक्षित करने के लिए सभी सरकारी योजनाएं फेल साबित हो रही हैं. सड़कों पर भटक रहे हजारों पशु सरकार की योजनाओं को आइना दिखाते नजर आ रहे हैं. ऐसे में सरकार और प्रशासन को आवारा पशुओं के आतंक को रोकने के लिए कुछ और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है.
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