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कूलर की 'ठंडक' पर कोरोना का असर, इस साल खाली रहे कारोबारियों के हाथ

कोरोना लॉकडाउन के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था मानो अर्श से फर्श पर पहुंच गई हो. ऐसा कोई भी कारोबार नहीं जो कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित न हुआ हो, लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार छोटे कारोबारियों और प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है. कूलर घास उद्योग से जुड़ें लोग भी कोरोना की मार का दंश झेल रहे हैं.

loss to cooler grass traders
डिजाइन फोटो.

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Published : Jun 15, 2020, 6:49 PM IST

पावंटा साहिब:सर्दियों के साथ ही गर्मी का सीजन भी लॉकडाउन में निकल गया और ऐसे में कूलर के लिए घास(पैड) बनाने कारोबारियों के हाथ इस साल खाली ही रह गए. पावंटा साहिब के कूलर के पैड के लिए घास तैयार करने वाले कारोबारी आजाद का कहना है कि इस साल महज 30 फीसदी माल ही बिक पाया है, जिससे मजदूरों की दिहाड़ी और अपना खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया है.

पावंटा साहिब के पुरुवाला में कूलर के लिए घास का पैड बनाने वाले उद्योग मालिक और उद्योग में काम कर रहे प्रवासी मजदूरों ने भी कोरोना वायरस का दंश झेला है. इस उद्योग के मालिक रमेश शर्मा पिछले तीन महीने से अपने मजदूरों को तनख्वाह देने के साथ-साथ उन्हें खाने-पीने की कोई कमी नहीं होने दे रहे हैं. यही कारण है कि फैक्ट्री के मजदूर अभी तक अपने घर वापिस नहीं लौटे.

वीडियो रिपोर्ट.

उद्योग में धूल फांक रही कूलर घास

पुरुवाला कूलर घास फैक्ट्री में घास के स्टॉक से गोदाम भरा हुआ है, लेकिन खरीददार बहुत कम नजर आ रहे हैं. इस उद्योग से हरियाणा, यूपी, उत्तराखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में घास पहुंचाई जाती थी, मगर इस बार फैक्ट्री में ही घास खराब हो रहा है. लॉकडाउन के चलते इस साल पूरा सीजन खराब रहा. मार्च महीने में बनाया गया स्टॉक अभी तक बिका नहीं है.

इस साल धंधा रहेगा मंदा

कूलर घास की बिक्री के लिए मार्च, अप्रैल, मई और जून के के महीना सीजनल होता है और ये महीने पूरी तरह से लॉकडाउन में ही निकल गए. ज्यादातर लोग गर्मी की सीजन की शुरुआत यानि अप्रैल में ही कूलर खरीदना, रिपेयरिंग इत्यादि का कार्य शुरू करवा देते हैं. यह महीने मंदी में निकल गए, जिससे पूरे साल की कमाई पर भारी चोट लगी है. अब तक खरीदारी न होने से गोदाम में तैयार सूखी घास धूल फांक रही है.

संकट में कूलर कारोबारी

गर्मी के सीजन में हर घर में कूलर की ठंडक की जरूरत पड़ती है. गर्मी के मौसम के दौरान चीड़ की लकड़ी का बुरादा निकालकर कूलर की घास तैयार की जाती है. पुरुवाला के कूलर घास फैक्ट्री में हजारों गरीब परिवारों की रोजी-रोटी चलती है. कोरोना संकट ने कारोबारियों की कमर तोड़ दी है. कूलर कारोबारियों का कहना है कि जून में अगर कारोबार शुरू होता भी है तो उनका बिजनेस 30 से 40 फीसदी तक डाउन हो जाएगा. इन स्थितियों में परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में हर कारोबारी को इंतजार बस कोरोना काल की समाप्ति का है.

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