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हिमाचल के इस गांव में 10 वर्षों से शराब प्रतिबंधित, आज भी युवा पीढ़ी ने नियम को रखा है कायम - liquor banned in dhanwasa village of himachal

आजकल शादी समारोहों में शराब का चलन जैसे ट्रेंड बन गया है, लेकिन धनवासा गांव में बीते 10 सालों से नशा पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. इस गांव में युवा पीढ़ी ने 10 वर्ष पहले बनाए गए नियमों को आज भी कायम रखकर मिसाल पेश किया है.

liquor banned in dhanwasa village of himachal
हिमाचल के इस गांव में 10 वर्षों से शराब प्रतिबंधित

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Published : May 21, 2023, 11:00 PM IST

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश में एक गांव ऐसा भी है, जहां पिछले 10 वर्षों से शादी समारोह या अन्य जश्न के मौकों पर शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित है. वर्षों पहले बनाए गए नियमों को आज की युवा पीढ़ी भी कायम रखे हुए है. बात सिरमौर जिला के उपमंडल पांवटा साहिब की बनौर पंचायत के धनवासा गांव की हो रही है. इस गांव ने एक बार फिर इस दिशा में मिसाल पेश किया है. वर्षों पहले बनाए गए नियम को क्षेत्रवासी आज भी कायम रखे हुए हैं.

10 सालों से शराब पर पाबंदी:दरअसल, इस गांव में शादी समारोह में पिछले 10 सालों से शराब पर पूर्ण रूप से पाबंदी है. हाल ही में धनवासा गांव में हुई एक लड़के की शादी में भी इस नियम को सख्ती से लागू किया गया. बनौर पंचायत में धनवासा, डिमटवाड़ और छछेती गांव है. इसमें करीब 150 से अधिक परिवार रहते है. धनवासा गांव के बुद्धिजीवी लोगों ने 10 वर्ष पहले से शादी समारोहों में शराब पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगाई थी. खास बात यह है कि वर्षों पहले क्षेत्र के बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा बनाए गए इस नियम को आज के दौरे के युवा भी कामय रखे हुए हैं.

गांव में विभिन्न विभागों में 100 से अधिक अधिकारी:बता दें, हाल ही में गांव के रहने वाले अरुण चौहान की शादी हुई. शाम को धाम का आयोजन तो किया गया था, लेकिन नियमों के मुताबिक शादी समारोह में शराब नहीं परोसी गई. बनौर पंचायत में संपन्न परिवार रहते है. इस क्षेत्र में पत्थर की खदानें भी है. साथ ही धनवासा गांव में विभिन्न विभागों में 100 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं. पूरे क्षेत्र को साधन संपन्न गांव माना जाता है, लेकिन गांव में वर्षों पहले बनाए गए नियम आज भी निभाए जा रहे हैं.

बारात में नहीं होती किराए की गाड़ी:बनौर पंचायत के धनवासा गांव में एक और खास बात है. गांव में जब भी किसी लड़के की शादी होती है, तो बारात में कोई भी गाड़ी किराए की नहीं होती, बल्कि 35 से 40 गाड़ियां गांव के ही लोग अपने घर से गाड़ी भेजते है. शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त स्थानीय निवासी ओपी चौहान का कहना है कि इस तरह की पहल से गांव में आपसी भाईचारा बना रहता है. कुल मिलाकर आज के दौर में इस गांव में वर्षों पहले बुद्विजीवी वर्ग द्वारा बनाए गए नियमों को वर्तमान में भी सख्ती से लागू किया जा रहा है. अभी तक इस नियम को तोड़ने की कोई भी शिकायत नहीं आई है, जो अपने आप में सराहनीय है.

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