शिलाई: स्टाफ की कमी व अन्य सुविधाओं की कमी के चलते सिविल अस्पताल शिलाई इन दिनों खुद ही बीमार पड़ा है. यहां दूरदराज से लोग स्वास्थ्य लाभ लेने पहुंचते हैं, लेकिन स्टाफ के अभाव व अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते उन्हें मेडिकल हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है.
भले ही प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग जनता को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा देने की बात कहकर खूब प्रचार-प्रसार कर अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इन हवाई बातों से अलग है. सिविल अस्पताल शिलाई इसका जीता जागता उदाहरण है. अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव व स्टाफ की कमी के चलते यहां के लोगों का स्वास्थ्य राम भरोसे है.
स्वास्थ्य खंड शिलाई के तहत सिविल अस्पताल शिलाई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रोनहाट, क्यारी गुंनडा, नैनीधार, और टिम्बी के अस्पताल आते है. अधिकांश रोगीयों को यहां से सुविधाओं के अभाव से रेफर कर दिया जाता है. यहां सुविधा का अभाव और स्टाफ की कमी के कारण रोगियों का इलाज नहीं हो पाता.
सुविधा के नाम पर यहां मात्र एक्स-रे है. सिविल अस्पताल होने के बावजूद यहां स्त्री रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. यहां पर जो चिकित्सक तैनात हैं वह मल्टी उपचार करते हैं. यदि यहां स्टाफ की बात की जाए तो सिविल अस्पताल शिलाई में 50 फीसदी स्टाफ व चिकित्सकों के पद खाली हैं. वहीं, स्वास्थ्य खंड के अंतर्गत आने वाले 4 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 70 से 80 फ़ीसदी पद स्टाफ व चिकित्सकों के खाली पड़े हैं.
अस्पताल में मेडिकल अधिकारियों के 8 में से 3 पद खाली हैं. सिविल अस्पताल में कुल मिलाकर 57 में से 28 पद रिक्त पड़े हैं. शिलाई स्वास्थ्य खंड के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रौनक में डेंटल मैकेनिक का एक, ड्राइवर का एक और सफाई कर्मचारी का पद रिक्त है.
कुल 12 पदों में से 7 पद खाली हैं. यही हाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क्यारी गुंडा का है, जहां स्टाफ के 4 पदों में से 3 पद खाली हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नैनीधार में तीन में से एक पद खाली है. वहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टिंबी में 3 में से 2 पद खाली हैं. इस स्थिति में स्वास्थ्य खंड की 29 पंचायत के लोग बिना स्टाफ और सुविधाओं के कैसे स्वास्थ्य लाभ ले पाएंगे. यह एक चिंता का विषय है. बीते वर्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा बढ़ाकर यहां सिविल अस्पताल किया और आश्वासन दिया था कि 3 महीने के भीतर यहां सभी रिक्त पद भर दिए जाएंगे, लेकिन 1 साल से ज्यादा समय बीत गया ना तो यहां सुविधाएं उपलब्ध हो पाई और ना ही स्टाफ के पद भरे गए. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि जब आपात काल के समय मरीज को सिविल अस्पताल शिलाई लाया जाता है तो केवल यहां से रेफर का प्रचार थमा दिया जाता है.
मजबूरन लोगों को इलाज के लिए सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर नाहन, पांवटा या निजी अस्पताल विकासनगर या देहरादून का रुख करना पड़ता है. कई मर्तबा प्रसव वेदना के दौरान गर्भवती महिलाओं को जब यहां से रेफर कर किया जाता है तो लंबे सफर के दौरान एंबुलेंस में ही गर्भवती महिला का प्रसव हो जाता है.
इस संबंध में खंड चिकित्सा अधिकारी शिलाई डॉक्टर निसार अहमद ने खाली पद होने की पुष्टि करते हुए बताया कि खाली पदों का ब्योरा समय-समय पर जिला अधिकारी को भेज दिया जाता है. उधर जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी नहान डॉक्टर केके पराशर ने बताया कि स्वास्थ्य खंड शिलाई में स्टाफ व अन्य सुविधाओं की कमी है, लेकिन फिर भी सफलतापूर्वक काम चलाया जा रहा है. रिक्त पड़े स्टाफ की सारी सूची बना कर प्रदेश स्वास्थ्य निदेशालय शिमला को भेज दी गई है. पद भरना प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य निदेशालय के अधिकार क्षेत्र में है.