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संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ ने काले बिल्ले लगाकर किया काम, सरकार पर अनदेखी का आरोप

हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ ने अपनी मांगों के समाधान में सरकार की ओर से की जा रही अनदेखी के चलते काले बिल्ले लगाकर रोष प्रकट किया. महासंघ के सदस्यों ने बताया कि आंदोलन के प्रथम चरण में 3 दिन काले बिल्ले लगाकर सेवाएं दी जाएगी. लोगों को परेशानी होगी तो इसके लिए सरकार ही जिम्मेवार होगी.

संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ
संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ

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Published : Dec 15, 2020, 1:50 PM IST

राजगढ:हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ ने अपनी मांगों के समाधान में सरकार की ओर से की जा रही अनदेखी के चलते काले बिल्ले लगाकर रोष प्रकट किया. महासंघ की सिरमौर ईकाई के महासचिव ने सरकार के उदासीन रवैये पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आंदोलन के प्रथम चरण में 3 दिन काले बिल्ले लगाकर सेवाएं दी जाएगी.

3 दिन तक चलेगा आंदोलन

इसके अगले चरण में कार्यालयाें में दिन में मोमबत्ती जलाकर काम किया जा रहा है और यह क्रम 3 दिन तक चलेगा. अगर सरकार इसके बाद भी नहीं जागेगी तो अपने निजी मोबाइल फोन के माध्यम से किसी भी प्रकार की सूचना और डाक का आदान प्रदान बंद किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि आजकल कार्यालय के 80 प्रतिशत काम मोबाइल फोन के माध्यम से ही होते हैं. ये सब काम प्रभावित होने से अगर लोगों को परेशानी होगी तो इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी.

क्या हैं मुख्य मांगें

महासचिव ने बताया कि महासंघ की मुख्य मांगों में सी श्रेणी के एसडीएम कार्यालयों में कार्यालय कानूनगो के पद सृजित करना. इसके अलावा...

  • पटवारी कानूनगो का डाटा सुविधा के लिए 4-5 जीबी दैनिक डाटा
  • मोबाइल फोन भत्ता देना,
  • भू-व्यवस्था विभाग के कानूनगो की वरिष्ठता सूची उसी विभाग में करके इनकी पदोन्नति इसी विभाग में करने और
  • भू-व्यवस्था विभाग का मंडी में मंडलीय कार्यालीय खोलने की मांग शामिल है.

महासचिव ने बताया कि नायब तहसीलदार की भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन करके कानूनगो का पदोन्नति कोटा 60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत किया जाए. अधीक्षक ग्रेड-2 में 20 प्रतिशत पदों पर कोटा दिया जाए.

मंडलीय स्तर पर कानूनगो की संयुक्त वरिष्ठता सूची उपलब्ध करवाई जाए. क्षेत्रीय कार्यालयों में बिजली, पानी की निशुल्क सुविधा या 1 हजार रुपये मासिक भत्ता दिया जाए. उन्होंने कहा कि कई मांगें सरकार के पास पिछले 3 सालों से विचाराधीन है, जिस पर न तो सरकार बात कर रही है और न ही समस्याओं का समाधान हो रहा है.

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