पांवटा साहिब: कोरोना महामारी का असर हर कारोबार पर पड़ा है. इससे कोई भी वर्ग अछूता नहीं रहा. भले ही लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक शुरु हो चुका है, लेकिन लोगों के कामकाज को अभी भी पटरी पर लौटने पर वक्त लग रहा है.
इसी कड़ी में कोरोना महामारी ने पांवटा साहिब में छोटे कारोबारियों की आर्थिकी को काफी नुकसान पहुंचाया है. यहां लोहे का कारोबार फीका पड़ गया है. लॉकडाउन के दौरान ये व्यवसाय बिल्कुल बंद था. वहीं, अब अनलॉक के बाद भी लोहे का कारोबार कोई रफ्तार नहीं पकड़ पाया है.
अभी भी शहरों और गांवों में घरों के निर्माण पहले की तरह नहीं हो रहे हैं. इस वजह से चदरों और लोहे के कारोबार से जुड़े लोगों का काम नहीं चल रहा है. इसके कारण इससे जुड़े लोग दुकानों और घर का किराया भी मुश्किल से दे पा रहे हैं.
आदिल हुसैन कहते हैं कि आजकल लोहे का काम खत्म हो गया है. यमुनानगर और काला आंब से लोहे का सामान लाया जाता है. पैसे होने पर ही सामान खरीद सकते हैं, लेकिन पैसे न होने के कारण सामान लाने में भी दिक्कत हो रही है. कोरोना काल में लोहे का दाम आसमान छू रहे हैं. इसके चलते आमदनी से ज्यादा खर्चा हो रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों के घर बनने पर ही हमारा काम चलेगा, लेकिन आजकल घर ही नहीं बन रहे हैं, जिससे उनका लोहे का काम भी नहीं हो रहा है.
लॉकडाउन के चलते मैनपावर की कमी, कच्चे माल की कमी, टीन की चदरें और लोहे का दूसरा सामान बाहरी राज्यों से खरीद कर लाना पड़ रहा है, जिससे कारोबारियों का खर्चा भी ज्यादा हो रहा है
मोहब्बत अली कहते हैं कि कोरोना काल के चलते लगाए गए लॉकडाउन में उनका काम ठप हो गया. दुकानें 3 महीने बंद रही. इसके कारण दुकानों का किराया बड़ी मुश्किल से पूरा किया. वहीं, अनलॉक शुरु होने पर भी काम पटरी पर नहीं आ पाया है. इसके लिए काफी समय लग जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारा काम शादी से जुड़ा है. अभी भी शादियां इतनी नहीं हो रही हैं. शादी न होने पर लोग सामान नहीं खरीद रहे हैं और लोगों के सामान न खरीदने पर उनका कारोबार काम कैसे चल पाएगा.
मोहब्बत अली कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान 3 महीने उन्हें 100 फीसदी नुकसान हुआ है. अब अनलॉक शुरु होने पर भी 90 फीसदी नुकसान हो रहा है. अभी भी कमाई नहीं हो रही है. वहीं, लोकल कच्चा माल महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है. सीजन के दौरान सैकड़ों वस्तुएं बेची जाती थी, लेकिन इस बार 1 दर्जन से अधिक वस्तुएं बेचना भी मुश्किल हो रहा है.
सतीश कुमार कहते हैं कि कोरोना काल में उन्हें कई दिक्कतें पेश आईं. उन्होंने कहा कि गेहूं के सीजन में काफी टंकियां बिकती थी, लेकिन कोरोना के चलते दुकान में टंकियां पड़ी हैं. लोगों ने इसकी खरीददारी नहीं की है. उन्होंने कहा कि सीजन में पहले करीब 150 टंकियां बिक जाती थी, लेकिन इस बार महज 20 टंकियां बिकी है.
कोरोना महामारी ने लोहे का कारोबार करने वालों पर भी अपना छोड़ा है. इन लोगों को भी आमदनी करने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. बहरहाल, कोरोना संक्रमण के मामले अभी भी देश और प्रदेश में बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसे में इस कारोबार को पहले की तरह पटरी पर आने में समय लग सकता है.
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