नाहन:कोरोना महामारी के बीच लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रहे हिमाचल पथ परिवहन निगम के चालकों व परिचालकों के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. अधिकतर स्थानों पर रात्रि ठहराव के दौरान मुश्किल की इस घड़ी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ये कोरोना वॉरियर्स रोटी और छत के लिए तरस रहे हैं.
कभी जिनकी उस्ताद जी कहकर सेवा होती थी, अब उन्हीं लोगों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है. सीधे शब्दों में कहें तो कोरोना के डर से अब चालकों व परिचालकों को बहुत से क्षेत्रों में आमजन का सहयोग नहीं मिल रहा है. ऐसे में संबंधित कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ी हैं.
दरअसल बाकी यदि सिरमौर जिला के ही करें तो यहां बहुत से ऐसे ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्रों के स्थान हैं, जहां पर बसों का रात्रि ठहराव होता आया है, लेकिन कोरोना के चलते कभी उस्ताद जी कहकर सेवा करने वाले लोगों ने वर्तमान परिस्थितियों में मानों इन्हें बेगाना कर दिया है.
जिला के गातू, रामाधौण, नहरसवार, भवाई ब्लीच, खारी अछोन, कोटिधिमान, अरलू, संगड़ाह, बडोल, कुंहठ आदि बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर रात्रि के समय ना तो चालकों व परिचालकों को ठहरने का स्थान मुहैया करवाया जा रहा है और न ही उन्हें खाने के लिए कुछ उपलब्ध करवाया जा रहा है, जबकि कोरोना से पहले भी इन क्षेत्रों में बसों का रात्रि ठहराव होता था.
हालांकि पहले एचआरटीसी के कर्मचारी बसों में ही रात गुजार लिया करते थे, लेकिन अब कोरोना के चलते संबंधित क्षेत्रों में बस रात्रि में सेनिटाइज भी नहीं हो पाती. ऐसे में संबंधित क्षेत्रों में कर्मचारियों को रात्रि ठहराव या भोजन इत्यादि के लिए आमजन का सहयोग नहीं मिल रहा है. यहां तक उन्हें पीने का पानी तक भी मुहैया नहीं करवाया जाता.