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यहां समय बताने के लिए कभी चलती थी तोप! आवाज सुनकर लोग निपटाते थे अपना काम

सिरमौर में नाहन शहर के ऐतिहासिक चौगान मैदान में स्थित ऐतिहासिक धरोहर लिटन मेमोरियल के ठीक नीचे बीचों बीच रखी तोप आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. आज भी ये ऐतिहासिक धरोहर अपने अंदर इतिहास को संजोए हुए है.

historical Cannon
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Published : Jan 20, 2020, 2:22 PM IST

नाहन: ईटीवी भारत की खास पेशकश हिमाचल की धरोहर में अब तक हम आपको बहुत सी धरोहरों के बारे में बता चुके हैं. आज हम आपको जिला सिरमौर में नाहन शहर के ऐतिहासिक चौगान मैदान में स्थित एक बेहद खूबसूरत और ऐतिहासिक धरोहर लिटन मेमोरियल के ठीक नीचे बीचों बीच रखी तोप के बारे में बताएंगे जो अपने अंदर इतिहास को समेटे हुए हैं.

ऐतिहासिक धरोहर लिटन मेमोरियल

जिस स्थान पर आज ये तोप रखी गई है, बताया जाता है कि रियासत काल में इसी स्थान पर जनता की सुविधा के लिए हर दिन दोपहर 12 बजे समय बताने के लिए तोप चलाने की प्रथा थी. उस समय जब ये तोप चलाई जाती थी, तो नाहन सहित आसपास के बहुत से गांवों में समय का पता चल जाता था और उसी के आधार पर लोग अपने काम निपटाया करते थे. आज भी ये तोप यहां आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बिंदु रहती है.

ऐतिहासिक तोप

हालांकि यहां नगर परिषद ने इस तोप के इतिहास को लेकर एक बोर्ड जरूर लगाया है, जिसके माध्यम से थोड़ी बहुत जानकारी अब लोगों को होने लगी है. मगर ईटीवी भारत ने इस तोप के पूरे इतिहास के बारे में जानना चाहा तो इसके बारे में शाही परिवार के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह ने पूरी जानकारी दी. कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया कि रियासत के जमाने में जब घड़ियां आदि लोगों के पास न के बराबर होती थी और लोगों को समय के बारे में बताना होता था, तो उस समय रियासत की तरफ से प्रबंध किया गया था. लोगों को समय का ज्ञान करवाने के लिए तोप से फायर किया जाता था और पता चल जाता था कि इस वक्त दिन के 12 बज गए हैं. ठीक 12 बजे ड्यूटी लगाई जाती थी जो आर्मी का जवान करते थे.

ऐतिहासिक तोप

कहा जाता है कि तोप में कोई गोला नहीं भरा जाता था, बल्कि सिर्फ बारूद का इस्तेमाल होता था. मगर उसकी आवाज इतनी होती थी कि नजदीक के जितने भी गांव जैसे निचले इलाके कोलावालांभूड आदि और ऊपरी घारटी क्षेत्र के गांव. यहां के लोग आवाज सुनकर अंदाजा लगा लेते थे कि दिन के 12 बज गए हैं और उसी हिसाब से वे आगे अपना काम करते थे.

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