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सिरमौर में बेटियों को बोझ नहीं समझ रहे अभिभावक, लिंगानुपात में काफी कम अंतर - vigil to prevent sex determination tests

सिरमौर जिला में अभिभावक अब बेटियों को बोझ नहीं समझ रहे हैं. इसको लेकर अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला में लिंगानुपात में ज्यादा अंतर नहीं है. इस साल सिरमौर जिला में 1000 लड़कों की तुलना में 943 लड़कियां है. साथ ही पीसीपीएनडीटी एक्ट के उल्लंघन की कोई शिकायत भी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं पहुंची है.

CMO Sirmaur Dr. KK Parashar News, सीएमओ सिरमौर डॉ. केके पराशर न्यूज
डिजाइन फोटो.

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Published : Mar 10, 2021, 6:37 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 9:24 PM IST

नाहन: इसे पीसीपीएनडीटी एक्ट की सख्ती कहें या फिर अभिभावकों की जागरूकता, सिरमौर जिला में अभिभावक अब बेटियों को बोझ नहीं समझ रहे हैं. इसको लेकर अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला में लिंगानुपात में ज्यादा अंतर नहीं है. इस साल सिरमौर जिला में 1000 लड़कों की तुलना में 943 लड़कियां है. साथ ही पीसीपीएनडीटी एक्ट के उल्लंघन की कोई शिकायत भी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं पहुंची है.

पहले जानिये क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट

पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए देश की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है. इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

वीडियो रिपोर्ट.

प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक 'पीएनडीटी' एक्ट 1996 के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है. ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी करवाने वाले जोड़े या करने वाले डॉक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

सिरमौर जिला में 22 अल्ट्रासाउंड मशीनें

सीएमओ सिरमौर डॉ. केके पराशर ने बताया कि सिरमौर जिला में सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में करीब 22 अल्ट्रासाउंड की मशीनें लगी हुई है. जहां भी यह अल्ट्रासाउंड मशीनें लगी हैं, वहां पर पीसीपीएनडीटी एक्ट को लेकर नियम लगाए गए हैं. समय-समय पर इनकी जांच भी की जाती है. इसके लिए सीएमओ, एमओएच व बीएमओ समय-समय पर निरीक्षण करते रहते हैं.

सही शिकायत पर होती है सख्त कार्रवाई

सीएमओ ने बताया कि यदि कन्या भ्रूण जांच संबंधी कोई शिकायत आती है और शिकायत सही पाई जाती है तो इसमें सजा का भी प्रावधान है. लिहाजा जिला में स्वास्थ्य विभाग पीसीपीएनडीटी एक्ट के नियमों की सख्ती से पालना करते हुए समय-समय पर औचक निरीक्षण होते हैं.

1000 लड़कों के मुकाबले 943 लड़कियां, समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम सीएमओ डॉ. केके पराशर ने बताया कि जिला में लिंगानुपात अच्छा है. यहां 1000 लड़कों के मुकाबले 943 लड़कियां हैं. उन्होंने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों को लेकर समय-समय पर पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जाते हैं. जब भी इसको लेकर नया नियम आता है तो डाक्टरों को ट्रेनिंग दी जाती है.

लिखित में कोई शिकायत नहीं

सीएमओ ने बताया कि अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों पर कन्या भू्रण जांच को लेकर विभाग को कोई भी लिखित शिकायत नहीं मिली है. कुछ लोगों की मौखिक शिकायतें आई थी जो मौके पर जाकर वह सही नहीं पाईं गई.

सिविल अस्पतालों में प्रसुति केंद्र, प्राइवेट पर भी रहती है नजर

सीएमओ ने बताया कि जिला के 5 सिविल अस्पतालों में प्रसुति केंद्र की सुविधा मौजूद है. हालांकि पीएचसी व सीएचसी स्तर पर भी सुविधाएं हैं, लेकिन अभी सिविल अस्पताल में ही डिलीवरी हो पाई हैं. साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में भी समय-समय पर जांच होती है.

शिकायकर्ता का नाम रखा जाता है गोपनीय

सीएमओ ने बताया कि अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों में यदि कोई भू्रण जांच या लिंगानुपात को लेकर यदि किसी को सूचना प्राप्त होती है तो वह सीधे विभाग को लिखित शिकायत कर सकता है. संचालक यदि इस दिशा में दोषी पाया जाता है, तो उसमें सजा का प्रावधान भी है. दूसरा यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो उसे एक लाख रूपए का नगर ईनाम भी दिया जाता है. साथ ही नाम गोपनीय रखा जाता है.

लोगों से की ये अपील

सीएमओ सिरमौर डॉ. केके पराशर ने जिलावासियों से अपील करते हुए कहा कि जहां पर भी अल्ट्रासाउंड होते हैं, वहां पर इस बात का ध्यान रखें कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रही है. यदि ऐसा हो रहा है तो तुरंत इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग को करें. स्वास्थ्य विभाग की मानें तो अब लोगों में जागरूकता बढ़ी है. साथ ही विभाग भी समय-समय पर औचक निरीक्षण करता है. यही वजह है कि जिला में लिंगानुपात बेहतर है.

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Last Updated : Mar 10, 2021, 9:24 PM IST

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