नाहन: हिमाचल प्रदेश का सिरमौर जिला तीन राज्यों की सीमाओं के साथ सटा हुआ है. पांवटा साहिब इलाका इस दृष्टि से हरेक गतिविधि के लिए संवेदनशील माना जाता है. ऐसे में इस सीमांत इलाके (Border areas of Sirmaur) में पड़ोसी राज्य उत्तराखंड से अक्सर हाथियों का आवागमन रहता है. एक बार फिर हाथियों के झुंड ने यहां दस्तक दी है. ताजा घटनाक्रम में 2 दिसंबर को हाथियों ने बहराल क्षेत्र में भी काफी उत्पात मचाया था. यहां हाथियों के झुंड ने गांव में ट्यूबवैल पाइप लाइन और फेसिंग लाइन को तो तोड़ डाला था. वहीं, गेहूं की फसल को भी काफी नुक्सान पहुंचाया था.(Movement of elephants in the Sirmaur).
दरअसल उत्तराखंड के राजा जी नेशनल पार्क व हरियाणा के कलेसर से होते हुए हाथी अक्सर सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में स्थित सिंबलवाला कर्नल शेरजंग नेशनल पार्क तक आ पहुंचते हैं. ऐसे में बीच रास्ते में पांवटा साहिब के कई रिहायशी इलाके व खेत आदि पड़ते हैं. लिहाजा हाथी कई बार नुक्सान करने से भी पीछे नहीं हटते. ऐसे में वन वृत नाहन ने हाथियों के आवागमन की स्थिति में लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है.
डीएफओ हेडक्वार्टर राम पाल सिंह. जिला मुख्यालय में वन विभाग में तैनात डीएफओ हेडक्वार्टर राम पाल सिंह ने बताया कि इन दिनों पांवटा साहिब के सीमांत इलाकों में हाथियों को लेकर काफी समस्या चल रही है. राजाजी नेशनल पार्क से यहां हाथियों का विचरण हुआ है. बहराल से होते हुए यह सिंबलवाला पार्क में पहुंचते हैं. ऐसे में बीच रास्ते में खेत-खलियानों को भी नुक्सान पहुंचाते हैं. लिहाजा विभाग द्वारा लोगों की सुरक्षा के दृष्टिगत एडवाइजरी भी जारी की गई है.
वन विभाग के कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया गया है. क्षेत्र में कर्मचारी पूरी तरह से सजग है. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि है हाथियों के आवागमन की स्थिति में वन विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करें. बता दें कि पिछले माह भी हाथियों को झुंड क्षेत्र में पहुंचा था, जिन्हें खदेड़ने के लिए वन विभाग को कई दिनों तक कड़ी मशक्त करनी पड़ी थी. हाथियों के आवागमन का यह सिलसिला काफी लंबे समय से चला आ रहा है.
हाथियों के आगमन पर क्या करें:वन विभाग के मुताबिक हाथी आने की सूचना निकटवर्ती वन कर्मचारी को तुरंत दें. सभी घरों के बाहर पर्याप्त रोशनी करके रखें, ताकि हाथी की दस्तक से पहले ही दूर से पता चल सके. सामना होने की सूरत में ज्यादा से ज्यादा दूरी बनाकर रखें. पहाड़ी स्थानों पर सामना होने की स्थिति में पहाड़ी की ढलान की ओर दौड़े, न की ऊपर की तरफ. हाथी ढलान में तेज गति से नहीं उतर सकता. जबकि चढ़ाई चढ़ने में वह दक्ष होता है. वन विभाग के बताए गए सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करें. जन-धन हानि होने की सूरत में बदले की भावना से प्रेरित होकर हाथियों के पास न जाएं. हाथी विचरण क्षेत्र में अपने गांवों के वृद्ध, अपाहिज व छोटे बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखें.
इन बातों का रखें ख्याल, क्या न करें:किसी भी प्रकार का शोरगुल न करें और उस क्षेत्र को तुरंत छोड़ दें. सेल्फी एवं फोटो लेने की उत्सुकता से भी उनके नजदीक बिल्कुल भी न जाएं. यह कदम प्राणघातक साबित हो सकता है. फसल लगे खेतों में होने की स्थिति में उन्हें खदेड़ने हेतू उनके पास न जाएं. गुलेर, तीर, मशाल व पत्थरों से बिल्कुल न मारें. इससे यह आक्रमक हो सकते हैं. शौच के लिए खुले खेत व जंगल में लगे स्थानों पर न जाएं. हाथी विचरण क्षेत्रों में देशी शराब व महुआ से बनी शराब न बनाएं और न ही उसका भंडारण करें. हाथियों को शराब की गंध आकर्षित करती है. विचरण क्षेत्रों में तेदुंपत्ता, फुटु, बांस के संग्रहण के लिए एवं मवेशी चराने भी न जाएं.
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