सिरमौर:चाहे कोरोना काल का समय रहा हो या फिर अब बरसात के दौरान आपदा का. विपदा की इस घड़ी में जल शक्ति विभाग के अधिकारियों से लेकर पूरा फील्ड स्टाफ लोगों की प्यास बुझाने के लिए 24 घंटे कार्य कर रहा है. जान जोखिम में डालकर काम करने वाले फील्ड स्टाफ की ये हैरान कर देने वाली तस्वीरें सिरमौर जिले के दुर्गम क्षेत्रों शिलाई, रेणुकाजी और पच्छाद की हैं, जहां संबंधित कर्मियों की थोड़ी से भी चूक, उनके जीवन पर भारी पड़ सकती है, लेकिन अपने कर्त्तव्य से बंधे ये जाबांज कर्मचारी अपने कार्य को बखूबी अंजाम दे रहे हैं.
दरअसल, पिछले 5-6 दिनों में हुई भारी वर्षा से पूरे जिले में जल शक्ति विभाग की सैंकड़ों पेयजल योजनाएं ठप होकर रह गई. बहुत सी योजनाओं की पाइप लाइनें ऐसी खतरनाक जगहों पर क्षतिग्रस्त हुई, जहां थोड़ी सी भी चूक जिंदगी पर भारी पड़ सकती है. आम आदमी तो ऐसी स्थिति में मौके पर पहुंचने की सोच भी नहीं सकता. बरसात से जिले के अधिकतर क्षेत्रों में पेयजल संकट गहरा चुका था. पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई थी. यह एक कड़वी सच्चाई है कि पेयजल किल्लत के बीच आम जन भी जल शक्ति विभाग को निरंतर कोस रहा था, लेकिन ये तस्वीरें लोगों को हैरान जरूर कर देंगी कि किस तरह से आपदा की इस घड़ी में फिल्ड स्टाफ अभी भी काम कर रहा है.
जान जोखिम में डालकर बुझा रहे लोगों की प्यास: जल शक्ति विभाग के कर्मी पेयजल लाइनों को क्षतिग्रस्त करने के लिए कहीं पोकलेन मशीन पर चढ़कर पहाड़ पर से गुजर रही क्षतिग्रस्त लाइन को ठीक कर रहे है, तो कहीं उफनते खड्डों को पार कर रहे हैं. कहीं खड्डों के बीच व किनारों पर जान जोखिम में डालकर मरम्मत का काम कर रहे हैं. कहीं मलबे में मीलों दूर चलकर क्षतिग्रस्त लाइनों को ठीक किया जा रहा है. कहीं भरी बरसात में तिरपाल डालकर लाइनों की मरम्मत की जा रही है. अब भी जगह-जगह भूस्खलन होने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसी बहुत सी कठिन परिस्थितियों में विभाग पेयजल आपूर्ति करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है. विभाग के अधिकारी भी रात-रात भर मौके पर डटे हुए है. इन्हीं के कठिन प्रयासों का नतीजा है कि जिला में अधिकतर पेयजल योजनाओं को शुक्रवार देर रात तक बहाल कर दिया गया. शेष पर भी निरंतर कार्य चल रहा है.