शिलाई/सिरमौर: सीमांत चमोली जनपद की रैंणी गांव के पास ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा व धौलीगंगा में मची भीषण तबाही के चलते लोग सहम उठे हैं. घटना से हिमाचल और जौनसार बावर के टांस नदी में प्रस्तावित किशाऊ बांध परियोजना के निर्माण को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं. इसका असर बीते कुछ दिनों पहले देखने को मिला. स्थानीय ग्रामीणों ने प्रस्तावित राष्ट्रीय परियोजना के निर्माण के विरोध में अपनी आवाज उठाई है.
660 मेगावाट की किशाऊ बांध राष्ट्रीय परियोजना
बता दें की प्रस्तावित 660 मेगावाट की किशाऊ बांध राष्ट्रीय परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) अब दोबारा तैयार होगी. परियोजना की लागत में संशोधन कर संशोधित डीपीआर तैयार करने के लिए कवायद शुरू हो चुकी है. एक सप्ताह से आधा दर्जन इंजीनियरों और विशेषज्ञों की टीम प्रस्तावित बांध स्थल क्षेत्र में डेरा डालकर इस कवायद को आगे बढ़ा रही है. इस बहुउद्देश्यीय परियोजना का निर्माण हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा पर बहती टोंस नदी पर मोहराड़-शंबर में प्रस्तावित है.
24 नवंबर को हुई हाई पावर कमेटी की बैठक
पिछले वर्ष 24 नवंबर को हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में परियोजना की डीपीआर को संशोधित करने पर फैसला हुआ था. वर्ष 2008 में राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित होने पर इस पर 10 हजार करोड़ रुपये की लागत अनुमानित थी. मौजूदा समय में लागत को बढ़ाकर 15 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है.