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सिरमौर की ये गाय साबित हुई 'कामधेनु', बिना गर्भधारण के 10 साल से दे रही दूध

सिरमौर जिला में एक ऐसी गाय है, जो बिना गर्भधारण किए बीते कई सालों से दूध दे रही है. सुनने में शायद आपको यकीन न हो, लेकिन ईटीवी हिमाचल की टीम जब इस गाय तक पहुंची, तो वाकई यह सच साबित हुआ.

कामधेनु

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Published : Jul 18, 2019, 5:52 PM IST

नाहन: देवभूमि हिमाचल के सिरमौर जिला में एक ऐसी गाय है, जो बिना गर्भधारण किए बीते कई सालों से दूध दे रही है. सुनने में शायद आपको यकीन न हो, लेकिन ईटीवी हिमाचल की टीम जब इस गाय तक पहुंची, तो वाकई यह सच साबित हुआ.

दरअसल नाहन विकास खंड की देवका पुड़ला पंचायत के जामली गांव में एक परिवार काफी समय से जमुना नाम की गाय की देखभाल कर रहा है. परिवार के लिए ये गाय किसी कामधेनु से कम नहीं है. वर्तमान में 24 वर्ष की हो चुकी इस गाय ने 2009 में सातवीं बार गर्भधारण किया था. गाय को पालने वाले कृषक परिवार ने ये समझकर गाय का उपचार नहीं करवाया कि अब गाय बूढ़ी हो चली है. बिना गर्भधारण के बाद भी जब दूध देने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ, तो परिवार खुद भी हैरत में पड़ गया.

सिरमौर की ये गाय साबित हुई 'कामधेनु'

आज भी ये गाय रोजाना साढ़े तीन लीटर दूध दे रही है. ये परिवार गाय का बेहतरीन तरीके से पालन पोषण कर रहा है, जोकि सराहनीय है. गाय का पालन पोषण करने वाली परिवार की सदस्य सुमित्रा देवी ने बताया कि 42 साल पहले शादी के बाद उनकी मां ने एक गंगा नाम की गाय उन्हें भेंट की थी.

जमुना भी उसी गाय की संतान है. परिवार के सदस्य के रूप में पूरा परिवार गाय की देखभाल करता आ रहा है. परिवार की सदस्य सुमित्रा देवी का कहना है कि जिस तरह से जमुना बहती है, उसी तरह जमुना नाम की उनकी गाय की दूध की धारा भी कई सालों से बह रही है. अंतिम बार साल 2009 में गाय ने गर्भाधारण किया था. पिछले 10 सालों से गाय लगातार दूध दे रही है. पशुपालन विभाग की टीम भी गाय को देखकर हैरान है.

पशुपालन विभाग की नाहन स्थित सहायक निदेशक प्रचार डॉ. नीरू शबनम ने बताया कि उक्त गाय के स्वास्थ्य की जांच की गई है. ये आश्चर्य वाली बात है, लेकिन गाय में हार्मोनल डिस्टर्बेंस से ऐसा हो रहा है. कुल मिलाकर वर्षों से महेंद्र सिंह व सुमित्रा देवी गाय पाल रहे हैं. ये दंपत्ति की देखभाल का ही नतीजा है कि गाय आज भी पूरी तरह से तंदरूस्त है साथ ही ये परिवार उन लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत है, जो दूध न देने की सूरत में गायों को आवारा घूमने के लिए सड़कों पर छोड़ देते हैं.

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