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कोरोना काल में पांवटा साहिब के गन्ने का स्वाद हुआ फीका, चर्खी संचालक परेशान - पांवटा साहिब गन्ना खबर

हिमाचल के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में भारी मात्रा में करने का उत्पाद होता है तो वहीं, गुड़ और शक्कर बनाने वाले चर्खी संचालकों की बात करें तो इस बार उनके काम में भी मंदी आई है. इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले गन्ने का कारोबार बहुत फीका है.

cororna effect on Sugarcane business in Paonta Sahib
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Published : Nov 28, 2020, 8:33 PM IST

Updated : Dec 9, 2020, 9:16 PM IST

पांवटा साहिब: गन्ने का सीजन अक्टूबर माह से शुरू हो जाता है तो वहीं, हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर पांवटा साहिब का गन्ने तैयार किए गए गुड़ और शक्कर का सवाद देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चखते हैं.

बता दें कि गन्ने की पेराई का सीजन अधिकतर राज्यों में अक्टूबर में शुरू हो जाता है. हिमाचल के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में भारी मात्रा में करने का उत्पाद होता है तो वहीं, गुड़ और शक्कर बनाने वाले चर्खी संचालकों की बात करें तो इस बार उनके काम में भी मंदी आई है. इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले गन्ने का कारोबार बहुत फीका है.

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पांवटा साहिब में हैं गन्ने के लिए चार तोल कांटे

पांवटा में गन्ने के लिए चार तोल कांटे हैं. यह तोल कांटे पांवटा साहिब के घुत्तनपुर, बद्रीपुर, भूंगरनी व खोड़ोवाला में लगेंगे. इन तोल कांटों में किसान अपना गन्ना तुलवाकर शुगर मिल को सौंपते हैं.

पांवटा साहिब में कुल 3.50 लाख क्विंटल गन्ना पैदा किया जाता है. जिसमें से 2 लाख क्विंटल चर्खियों में बेचा जाता है और एक लाख गन्ना शुगर मिल में बेचा जाता है. बाकी 50 लाख गन्ना लोकल जूस के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

दाम की बात की जाए तो चर्खियों में गन्ना ₹200 से लेकर ₹250 तक खरीदा जाता है, जबकि शुगर मिल में ₹316 खरीदा जाता है. पांवटा साहिब के अधिकांश क्षेत्रों में गन्ने का उत्पादन किया जाता है.

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सबसे ज्यादा सूर्या कॉलोनी हीरपुर भेड़ेवाला तारूवाला, दून घाटी, भोपपुर कॉलेज रोड, करनाल रोड, सूरजपुर, अजोली शिवपुर मानपुर, फूलपुर, भुगनी आदि में ज्यादा पैदा किया जाता है.

शिलाई के प्रदीप शर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष 1 क्विंटल गुड़ बेचने के लिए लेकर थे, लेकिन इस बार ना तो ज्यादा ठंड पड़ी है और ना ही कारोबार बढ़ा है.

पांवटा साहिब में पंजाब हरियाणा उत्तराखंड के साथ-साथ विदेशों से भी लोग यहां पर गुड़ का स्वाद चखने के लिए पहुंचते हैं और यहां से पैकेट बनाकर विदेशों में गुड़ पहुंचाया जाता है. शुद्ध गुड़ होने की वजह से यहां पर डिमांड ज्यादा है.

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पिछले वर्ष 100 क्विंटल गुड़ बिका था

वहीं, चरखी में काम कर रहे मजदूर ने बताया कि 18 घंटे काम करना पड़ रहा है. दिहाड़ी भी सही ढंग से नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि बारिश कम होने की वजह से काम में काफी मंदी आई है जिस वजह से उन्हें भी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं.

वहीं, एक मजदूर ने बताया कि पिछले वर्ष तो जहां पर चारों तरफ गन्ने नजर आते थे पर इस बार कन पैदावार हुई है. जिससे गन्ने के कारोबार में इस बार काफी मंदी नजर आ रही है.

इस बार गन्ने की पैदावार बहुत कम हुई

वहीं, किसानों के साथ मजदूरी का काम कर रहे एक मजदूर ने बताया कि इस बार गन्ने की पैदावार बहुत कम हुई है. कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से इस बार गन्ना कम पैदावार किया गया है.

1 दिन में 30 से 40 कट्टे गुड़ के तैयार किए जाते थे

चर्खी पर काम कर रहे एक मजदूर से जब बातचीत की तो उन्होंने बताया कि इस बार उनके काम में भी मंदी आई है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 1 दिन में 30 से 40 कट्टे गुड़ के तैयार किए जाते थे. इस बार तो मुश्किल से 10 से 15 कट्टे दिन के तैयार हो रहे हैं.

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वहीं, एक चरखी के संचालक ने बताया कि उनकी चरखी पिछले कई दिनों से बंद है. गन्ना नहीं आ पा रहा है. ऐसे में मजदूरों की दिहाड़ी देना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 100 क्विंटल गुड़ निकाला था पर इस बार तो 50 का आंकड़ा भी पार करना मुश्किल सा लग रहा है.

पिछले साल एक किसान का 800 क्विंटल गन्ना बिका था

पांवटा साहिब के शिवपुर पंचायत के एक किसान ने बताया कि पिछले वर्ष उनका 800 क्विंटल गन्ना बिका था. उन्होंने कहा कि एक अच्छी आइटम है इसे बंद होने का कोई औचित्य नहीं था फिर भी प्रशासन ने यहां पर चर्खियों को बंद कर दिया था और शुगर मिल पर गन्ना नहीं बेच पा रहे थे.

इस बार कोरोना का असर हर कारोबार पर पड़ा है जिससे हर कारोबार में मंदी चल रही है. जिसका असर इस बार गन्ने के कारोबार पर भी हुआ है.

Last Updated : Dec 9, 2020, 9:16 PM IST

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