पांवटा साहिब: देश प्रदेश में जहां कोरोना महामारी प्रंचड़ रूप में चारों ओर फेल रही है. केंद्र सरकार ने इससे बचने के लिए कई बार एडवाइजरी जारी की है, लेकिन धरातल पर सोशल डिस्टेंस को जन प्रतिनिधित्व ही सरेआम धज्जियां उडाने में मशगुल है. डाण्डा पंचायत के गांव शमयाला में पांवटा विधायक सुखराम की जनसभा संबोधन में सैंकड़ों की तादाद में लोग एकत्रित हुए और उनके पास मास्क तक नहीं नजर आए.
यदि जनसभा में कोई भी एक व्यक्ति कोरोना महामारी से संक्रमित पाया गया, तो समूचा क्षेत्र कोरोना की चपेट में आ सकता है. ऐसे पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं.
तालियां बटोरने की चाहत में स्थानीय विधायक भूल गए कोरोना महामारी. आयोजित जनसभा से जुड़ी तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि नेता किस तरह से लोगों के बीच में कोरोना महामारी के चलते बेफ्रिक सभाएं करने में व्यस्त हैं. क्षेत्र में प्रतिनिधित्व होने के नाते उन्हें आम जनमानस की कोई चिंता नहीं सता रही है. सिर्फ वोट बैंक ही उनका सर्व प्रथम लक्ष्य है.
बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश में जहां पर एक तरफ कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, पांवटा साहिब के निर्वाचन क्षेत्र में सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाई जा रही है व मास्क नाम मात्र ही लगाए जा रहे हैं. खुद नेतागण व अधिकारी बिना मास्क व सोशल डिस्टेंस के जनसभाएं कर रहे हैं आखिर यहां पर यह कानून व्यवस्था क्यों नहीं अपनाई जा रही है.
पिछले दिनों पांवटा साहिब में पुलिस के द्वारा सड़कों पर मार्च पास्ट किया जाता है और दूसरी तरफ अधिकारियों, समाजसेवियों और उच्च स्तर के लोगों के द्वारा कानून की उल्लंघा सरेआम की जा रही है. क्या इन नेताओं पर कोई कानून लागू नहीं होता. यहां पर सीधा-सीधा एक प्रश्न आमजन के लिए उठ रहा है कि आखिर इसकी जिम्मेदारी शासन, प्रशासन या राजनेता लेने को तैयार है.
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