हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

देवभूमि के इस मंदिर में आज भी मौजूद है 11वीं शताब्दी की मूर्तियां, चढ़ाई जाती है पहली फसल - nag devta

प्राचीन मंदिर होने के साथ-साथ यहां की खास बात यह भी है कि नाग देवता के इस मंदिर में गिरीपार क्षेत्र के तमाम किसान अपनी पहली फसल को यहीं चढ़ाते हैं, ताकि सालभर अनाज की कमी न रह सके. यह मंदिर रियासतकाल के राजाओं के समय से चलता आ रहा है.

नाग देवता मंदिर सिरमौर

By

Published : May 21, 2019, 8:51 PM IST

नाहनः हिमाचल प्रदेश के कण-कण में देवी-देवता वास करते हैं. यही कारण है कि इसे देवभूमि कहा जाता है. देवभूमि के साथ यहां ऐसे बहुत से ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो अपने में कई इतिहास समेटे हुए हैं. इन्हीं एक प्राचीन मंदिरों में से सिरमौर जिला के उपमंडल पांवटा साहिब के तहत सालवाला पंचायत में स्थित नाग नावणा मंदिर भी है.

नाग देवता मंदिर सिरमौर

प्राचीन मंदिर होने के साथ-साथ यहां की खास बात यह भी है कि नाग देवता के इस मंदिर में गिरीपार क्षेत्र के तमाम किसान अपनी पहली फसल को यहीं चढ़ाते हैं, ताकि सालभर अनाज की कमी न रह सके. यह मंदिर रियासतकाल के राजाओं के समय से चलता आ रहा है.

पढ़ेंः ऐसा घड़ा जो नदी में बाढ़ आने पर नदी की तरफ जाने की कोशिश करता है! नाम है भीम का घड़ा

क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यता

नाग देवता के इस मंदिर की मान्यताओं के मुताबिक यहां के राजा की पत्नी ने दो बच्चों को जन्म दिया था. इसमें से पहले उन्होंने एक को जन्म दिया और बाद में एक पुत्र को जन्म दिया. इसके बाद नाग देवता यहां की धरती में समा गए थे. इसके बाद से यहां मेला भी आयोजित किया जाता है. कई हजारों की तादात में यहां पर मेले के दौरान श्रद्धालुओं की लाइनें लगी रहती है.

नाग देवता मंदिर सिरमौर

साल में दो बार यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है. लोग अपनी गेहूं व उसके बाद मक्की की पहली फसल इसी मंदिर में चढ़ाते हैं. यहां के लोगों की मान्यता है कि लोग गेहूं की फसल का कुछ हिस्सा नाग देवता मंदिर में चढ़ाते हैं. लोगों की मानें तो यदि कोई सच्चे मन से यहां कोई मन्नत मांगता है तो उसकी सभी मन्नत पूरी हो जाती है. लोग अपनी मनोकामना के रूप में एक बरगद के पेड़ में धागा बांधकर कर चले जाते हैं.

खुदाई के दौरान मिली थी यहां कई दर्जन प्राचीन मूर्तियां

लंबे अरसे पहले खुदाई के दौरान मंदिर में कई दर्जन प्राचीन मूर्तियां भी मिली थी, जिन्हें देखने के लिए उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली से लोग पहुंचते हैं. मंदिर में सभी लोगों की खाने पीने व रहने हर प्रकार की सुविधाएं मिलती है.

ये भी पढ़ेंःबर्फीली वादियों के बीच बेहद खूबसूरत है मां भीमाकाली का ये मंदिर, अज्ञातवास के दौरान यहां रूके थे पांडव!

ABOUT THE AUTHOR

...view details