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ग्राउंड रिपोर्ट: पांवटा साहिब में ATM बने शोपीस, अक्सर लोगों को दगा दे जाते हैं एटीएम - ATM PROBLEM IN SIRMAUR

देश-प्रदेश में एटीएम खराब रहने की समस्या बेहद आम है और इससे लोग आए दिन परेशान होते हैं. पांवटा साहिब शहर में भी राष्ट्रीयकृत बैंक के एटीएम में अधिकतर बंद ही पड़े रहते हैं. छुट्टी वाले दिनों में बैंक बंद होने पर भी एटीएम लोगों को दगा दे जाते हैं. जनता पैसा निकालने के लिए एक से दूसरे एटीएम की दौड़ लगाते हैं.

ATM PROBLEM IN PAONTA SAHIB
पांवटा साहिब में ATM बने शोपीस

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Published : Mar 8, 2021, 7:24 PM IST

Updated : Mar 8, 2021, 9:12 PM IST

पांवटा साहिबःदेश-प्रदेश में एटीएम खराब रहने की समस्या बेहद आम है और इससे लोग आए दिन परेशान होते हैं. पांवटा साहिब शहर में भी सूरत-ए-हाल अलग नहीं है. यहां भी लोगों को नकदी निकासी के लिए समस्या से दो-चार होना पड़ता है.

बंद पड़े रहते हैं अधिकतर एटीएम

राष्ट्रीयकृत बैंक के एटीएम में अधिकतर बंद ही पड़े रहते हैं. शहर में लगे एटीएम खराब होने से उपभोक्ता रुपये निकालने के लिए यहां-वहां भटक कर परेशान हो रहे हैं. कहीं एटीएम तकनीकी गड़बड़ी, तो कही बिजली न के कारण बंद हैं. 24 घंटे सर्विस देने के लिए लगाए गए अधिकतर एटीएम खराब ही रहते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

इस कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. खास बात यह है कि इस समस्या की ओर बैंक प्रबंधन का ध्यान इस ओर कम ही होता है. यूं तो एटीएम पर 24 घंटे सेवाएं देने की बात लिखी होती है, लेकिन जब उपभोक्ता एटीएम मशीन से रुपए निकालने जाता है, तो लिए उपभोक्ताओं को एक से दूसरे एटीएम भटकना पड़ता है.

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छुट्टी वाले दिन भी बंद रहते हैं एटीएम

छुट्टी वाले दिनों में बैंक बंद होने पर भी एटीएम लोगों को दगा दे जाते हैं. जनता पैसा निकालने के लिए एक से दूसरे एटीएम की दौड़ लगाते हैं. नगर के अधिकांश एटीएम पर खाताधारकों को नेटवर्क बाधित रहते हैं या कैश की अनुपलब्धता होने से बैरंग वापस लौटने को मजबूर हो जाते हैं. अस्पताल के आसपास के एटीएम भी खराब रहते हैं, जिससे मरीजों के तीमारदार भी परेशान रहते हैं. वहीं, जिम्मेदार एटीएम में कैश की समस्या को समय पर दूर करने के दावे करते हैं. जिम्मेदार तो एटीएम को तीन से 24 घंटे में ही दुरुस्त करने के दावे कर रहे हैं.

जिम्मेदारों के दावे और जमीनी हकीकत में फर्क

कुल-मिलाकर जिम्मेदारों के दावे और जमीनी हकीकत में जमीन-आसमान के फर्क नजर आता है. अगर जिम्मेदारों के दावे में सच्चाई होती तो जमीन पर हालात ऐसे न होते और आम लोगों का जीवन कुछ सहज होता. आम जनता के सरोकार से जुड़ने की बात तो की जाती है पर वास्तव में ऐसा कुछ होता नजर नहीं आता है.

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Last Updated : Mar 8, 2021, 9:12 PM IST

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