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सूरतगढ़ में भूमि कटाव रोकने के लिए 15 लाख रुपये मंजूर, बनेगी 60 मीटर लंबी 'द ग्रेट वॉल'

सिरमौर के पांवटा साहिब सूरतगढ़ में पिछले साल गिरी नदी में बाढ़ आने के कारण ग्रामीणों की जमीन और पीपल का 200 साल पुराना पेड़ बह गया था. इसके लिए अब सरकार ने लोगों की जमीन को बचाने के लिए मनरेगा के तहत 5 लाख रुपये और वाटरशेड से जल संरक्षण के तहत 10 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है.

giri river in paonta sahib
giri river in paonta sahib

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Published : Sep 8, 2020, 3:41 PM IST

Updated : Sep 8, 2020, 4:23 PM IST

पांवटा साहिब: पिछले साल गिरी नदी में बाढ़ आने के कारण सूरतगढ़ में ग्रामीणों की जमीन और पीपल का 200 साल पुराना पेड़ बह गया था. इस पीपल के पेड़ को ग्रामीण दशकों से पूजते आ रहे थे और जमीन पर अनाज उगाकर गांव के लोग अपने घरों का खर्च चलाते थे. इस बाढ़ के कारण 40 परिवारों की जमीन बह गई थी.

अब सरकार ने लोगों की जमीन को बचाने के लिए मनरेगा के तहत 5 लाख रुपये और वाटरशेड से जल संरक्षण के तहत 10 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है. यह दोनों काम मनरेगा और वाटरशेड जल संरक्षण के तहत किए जाएंगे.

वीडियो रिपोर्ट.

कई सालों से ग्रामीण नेताओं सहित पांवटा प्रशासन से जमीन को बचाने की गुहार लगा रहे थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. ग्रामीणों ने कई बार सीएम जयराम ठाकुर व केंद्र सरकार को पत्र भेजकर समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई थी. पिछले साल भारी बारिश में किसानों की जमीन बह गई थी. ईटीवी भारत ने मामला उजागर करके पांवटा प्रशासन व डीसी सिरमौर डॉ. आरके परुथी तक पंहुचाया.

इसके चलते 1 साल के लंबे इंतजार के बाद पांवटा साहिब की नवादा पंचायत ने सूरतगढ़ के 40 परिवारों की जमीन को कटाव से बचाने के लिए 60 मीटर लंबी और 3 फीट ऊंची दीवार के निर्माण के लिए राशि स्वीकृत करके निर्माण काम शुरू किया गया है.

पांवटा खंड विकास अधिकारी गौरव धीमान ने बताया कि साल 2019 में 40 परिवारों की जमीन को भारी बारिश के कारण नुकसान पहुंचा था. गिरी नदी में अब तेज हवाओं और बाढ़ के चलते सूरतगढ़ गांव के ग्रामीणों की जमीन को नुकसान नहीं होगा. किसानों ने नदी के किनारे जमीन पर फसल बीजना बंद कर दिया था, लेकिन अब अगले मौसम में किसान अपनी जमीन पर धान, गेहूं, मक्की और सब्जियों खेती कर पाएंगे.

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Last Updated : Sep 8, 2020, 4:23 PM IST

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