नाहन: वैश्विक महामारी कोरोना से जीतने के दो ही मार्ग है. एक तो सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरा फेस कवर यानी मास्क. इस समय जहां बाजारों में फेस कवर महंगे मिल रहे हैं. वहीं, हर एक शख्स इस लड़ाई को जीतने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
हालांकि बहुत अधिक मात्रा में जगह-जगह मास्क तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन ईटीवी भारत आज आपको 80 साल की एक ऐसी 'अम्मा' से रूबरू करवाने जा रहा है, जोकि उम्र के इस पड़ाव में भी कोरोना से जंग में आशा की किरण बनकर अपना अहम योगदान दे रही हैं.
दरअसल, नाहन से ताल्लुक रखने वाली इन अम्मा का नाम आशा लता पुंडीर है, जोकि रिश्ते में शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप की पार्षद बहन की सास लगती हैं. 58 साल की उम्र में बतौर सिलाई अध्यापिका आशा लता सेवानिवृत्त हो गई थी और उसके बाद से उन्होंने कभी सिलाई मशीन का इस्तेमाल नहीं किया.
अब देश सहित प्रदेश पर कोरोना महामारी का संकट छाया हुआ है, तो उन्होंने करीब 20 साल बाद 80 साल की उम्र में पुनः सिलाई मशीन पर काम करना शुरू किया. उनका मकसद कोरोना वायरस के मद्देनजर लोगों की सुरक्षा के लिए मास्क तैयार करना है.
इन दिनों आशा लता खुद ही कटिंग कर मशीन पर मास्क बनाने के कार्य में जुटी हुई हैं. कपड़े से बने यह मास्क धोकर फिर से प्रयोग किए जा सकते हैं. वह रोजाना करीब 15 से 20 मार्च तक अपनी मशीन से तैयार कर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा रही हैं.
वह करीब 300 मास्क लोगों को बांट चुकी है. आशा लता का मानना है कि इस महामारी से लड़ने के लिए सभी लोग अपने घरों में मास्क बनाएं और अपने आस पड़ोस में बांटे. संकट के इस समय में इससे अच्छा और कोई कार्य नहीं है.ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आशा लता पुंडीर ने कहा कि वह बतौर सिलाई अध्यापिका कार्य करती थी और उन्हें 20 साल से ज्यादा का समय सेवानिवृत हुए हो गया है.
सेवानिवृति के बाद से उन्होंने सिलाई कार्य को छोड़ दिया था. मगर जब यह बीमारी फैली, तो करीब 20 साल बाद उन्होंने एक बार फिर से मशीन चलाई है और मास्क बनाने का कार्य कर रही हैं. अगर कोई मास्क बनाना सीखना भी चाहता है, तो वह सिखाने के लिए भी तैयार हैं.