शिमला: 17 नवंबर, शुक्रवार को विश्व प्रीमैच्योर दिवस मनाया जा रहा है. प्रीमैच्योर बेबी वे शिशु होते हैं, जिनका जन्म समय से पहले ही हो जाता है. जैसे की प्रेगनेंसी के सातवें या आठवें महीने में इन बच्चों का जन्म हो जाता है. इन प्रीमैच्योर शिशुओं की इम्यूनिटी नौ महीने में पैदा हुए बच्चों की इम्यूनिटी की तुलना में बहुत कमजोर होती है. इसलिए प्रीमैच्योर बच्चों को स्पेशल केयर की जरूरत होती है. वहीं, अक्सर प्रीमैच्योर बेबी में बीमारियों का खतरा भी बना रहता है.
हिमाचल प्रदेश के के एक मात्र महिला अस्पताल कमला नेहरू अस्पताल (केएनएच) में स्पेशलिस्ट डॉक्टर अशोक गर्ग ने बताया कि प्रेगनेंसी के 37वें स्पताह से पहले पैदा हुए बच्चों को प्री-टर्म बेबी या प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है. इन बच्चों में इंफेक्शन फैलने का खतरा ज्यादा रहता है. ये बच्चे फुल-टर्म बेबी की तरह पूरी तरह से विकसित भी नहीं हुए होते हैं. यही सबसे बड़ा कारण हे कि प्रीमैच्योर बेबी को ज्यादा समय तक अस्पताल में डॉक्टरों की देखरेख में रखना पड़ता है, क्योंकि इन बच्चों का अभी तक गर्भ में पूरा विकास नहीं हुआ होता है. इसलिए इन बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर बारीकी से नजर रखनी पड़ती है.
KNH में सालाना 4-5 हजार प्रीमैच्योर डिलीवरी: डॉ. अशोक गर्ग ने बताया कि केएनएच में एक साल में करीब 7 से 8 हजार गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी होती है. जिसमें से 4 से 5 डिलीवरी प्रीमैच्योर होती हैं, जो कि गर्भ के 9 महीने पूरे होने से पहले ही हो जाती है. ऐसे में इन बच्चों को खास देखभाल की जरूरत होती है, ताकि नवजात को किसी तरीके का भी इन्फेकशन न हो, क्योंकि इन बच्चों की इम्यूनिटी बहुत ज्यादा कमजोर होती है और इनमें बिमारियों से लड़ने की ताकत भी नहीं होती है. ऐसे में ये बेहद जरूरी हो जाता है की स्पेशल केयर के साथ इन बच्चों की ट्रीट किया जाए.
क्यों होती है प्रीमैच्योर डिलीवरी?डॉ. अशोक गर्ग ने बताया कि प्रीमैच्योर डिलीवरी होने का एक सबसे मुख्य कारण लंबे समय से चली आ रही बीमारियां, जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज हो सकती है. इसके साथ ही यूट्रस, सर्विक्स और प्लेसेंटा से जुड़ी समस्याएं भी प्रीमैच्योर डिवीलरी का कारण बनती हैं. इसके अलावा प्रेगनेंसी के समय में शराब पीना, स्मोकिंग करने के कारण भी प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के चांसस बने रहते हैं. डॉ. अशोक गर्ग ने बताया कि प्रेगनेंसी पीरियड आमतौर पर 40 हफ्तों का होता है. इसमें इससे पहले भी प्रीमैच्योर बेबी होना या फिर एक से ज्यादा बच्चों के साथ गर्भवती होना भी प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण हैं. प्रीमैच्योर डिलीवरी के लक्षणों में जन्म से संबंधित जटिलताएं बढ़ने लगती हैं, इन बेबी में फेफड़ों का विकास सही से नहीं होता, शरीर का तापमान एक सा रखने में परेशानी, खान-पान में परेशानी और बच्चे का वजन का धीमी गति से बढ़ना शामिल है.