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World Arthritis Day 2023: हिमाचल में तेजी से फैल रही गठिया की बीमारी, 100 छोटे बच्चे भी इस बीमारी के मरीज

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 12, 2023, 7:47 PM IST

गठिया एक प्रकार की अधिकतम सूजन और जोड़ों के दर्द के साथ आने वाली बीमारी है. यह रोग विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटाॅइड आर्थराइटिस, जुवेनाइल आर्थराइटिस गठिया के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रहूमटॉइड आर्थराइटिस, जुवेनाइल आर्थराइटिस आदि. वहीं, अगर हिमाचल की बात करें तो यहां ये बीमारी तेजी से फैल रही है. जानें सब कुछ पूरी खबर में... (Symptoms and prevention measures of arthritis).

World Arthritis Day 2023
सांकेतिक तस्वीर.

आईजीएमसी में मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. विकास शर्मा

शिमला:वर्ल्ड अर्थराइटिस डे यानी विश्व गठिया दिवस हर साल 12 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता इवेंट है जो हर साल गठिया रोग के बारे में जागरूकता पैदा करने, किसी के जीवन पर इसके प्रभाव और लक्षणों, निवारक उपायों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए आयोजित किया जाता है. गठिया होने के कारण में कई लाइफस्टाइल फैक्टर्स के साथ धूम्रपान, मोटापा, खराब डाइट और एक्सरसाइज न करना भी शामिल है. कुछ गठिया रोग आनुवंशिकी भी होते हैं.

हिमाचल प्रदेश में गठिया तेजी से फैल रहा है बड़ों के साथ-साथ अब यह छोटे बच्चों को भी अपनी चपेट में जकड़ रहा है इस बात का खुलासा आईजीएमसी में मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. विकास शर्मा ने किया है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी देश की तरह गठिया की स्थिति है और पॉपुलेशन का 8 फीसदी लोग गठिया से पीड़ित उनका कहना है कि महिलाएं बच्चे बूढ़े बुजुर्ग सभी गठिया के मरीज है. उनकी ओपीडी में 200 से 300 मैरिज उपचार के लिए आते हैं और एक सप्ताह में 600 से 800 मैरिज गठिया के इलाज के लिए उनके ओपीडी में आते हैं. जिनका इलाज चल रहा है. डॉक्टर विकास ने बताया कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी गठिया की चपेट में आ चुके हैं. उनका कहना है कि उनके पास जो 100 छोटे बच्चे जो की 18 साल से कम है रजिस्टर्ड है. जिनका उपचार आईजीएमसी से चल रहा है.

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गठिया के लक्षण:गठिया की शुरुआत में हाथों में दर्द महसूस होता है. इसके बाद धीरे-धीरे सुबह-शाम जोड़ों में अकड़न और सूजन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं. हाथों को काम करने में भी दिक्कत होने लगती है. विशेषज्ञों का कहना है कि हड्डियों और जोड़ों को खराब होने से बचाने के लिए जरूरी है कि शुरुआत में ही इसका इलाज हो जाए.

गठिया रोग के कारण:गठिया रोग का कोई एक मुख्य कारण नहीं है, बल्कि कई गतिविधियों से इसके उत्पन्न होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जैसे कि-1. हमारे शरीर में जोड़ों में एक नर्म और लचीला टिशु प्रस्तुत है जिसे कार्टिलेज कहा जाता है, जब हम चलते हैं तो जोड़ों पर दबाव पड़ता है, ऐसे में कार्टिलेज प्रेशर और शाॅक को अवशोषित कर हमारे जोड़ों की सुरक्षा करता है, जब व्यक्ति को गठिया रोग जैसी बीमारी होती है, तो ऐसे समय में कार्टिलेज की मात्रा में कमी हो जाती है जिस वजह से एक हड्डी दूसरी हड्डी से रगड़ती है और कुछ परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं.

2. यदि आपके परिवार में किसी व्यक्ति में गठिया रोग की शिकायत पाई जा रही है, तो मुमकिन है कि यह बीमारी अन्य व्यक्तियों में भी पाई जाए,3. मोटापा भी गठिया रोग होने की संभावनाएं बढ़ा सकता है. ऐसा इसलिए कि मोटापे की वजह से शरीर के जोड़ ज़्यादा वजन नहीं सह पाते और जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्याएं हो जाती हैं.

गठिया रोग के कुछ प्रकार:वैसे तो गठिया रोग के लगभग 100 से भी ज्यादा प्रकार हैं जिस वजह से विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यहां हम आपको कुछ मुख्य प्रकार से परिचित कराएंगे.

1. ऑस्टियोआर्थराइटिस(Osteoarthritis) (अस्थिसंधिशोथ) यह गठिया रोग के सबसे आम रूप में गिना जाता है, ऐसी अवस्था में व्यक्ति के जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ-साथ हिलने ढुलने की गति पर भी असर पड़ता है. ऑस्टियोआर्थराइटिस हमारे जोड़ों के कार्टिलेज पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और धीरे-धीरे कार्टिलेज टूटना शुरू हो जाते हैं.

2. रूमेटाॅइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) (रूमेटी संधिशोथ)इस प्रकार के आर्थराइटिस से हमारे जोड़ों की परत को हानि होती है, रूमेटाॅइड आर्थराइटिस में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी सिस्टम) अपने ही शरीर के ऊतकों पर हमला कर देती है, जोड़ों की परतों को क्षति पहुंचने की वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

3. गाउट (Gout)गाउट का दूसरा नाम वातरक्त भी है जो हमारे पैरों पर प्रभाव डालता है, इस तरह की परिस्थिति में जोड़ों में दर्द और सूजन की अनुभूति होती है, खासतौर से बड़े पैर के अंगूठे में, पैर में अचानक दर्द होना गाउट का एक लक्षण है.

4. सेप्टिक आर्थराइटिस (Septic Arthritis)इसे इंफेक्शियस आर्थराइटिस (Infectious Arthritis) भी कहा जाता है जो कि जोड़ों के ऊतकों और तरल पदार्थ का संक्रमण है, सेप्टिक आर्थराइटिस बच्चों में भी पाया जाता है और इसके होने के मुख्य कारण रक्षा तंत्र का कमज़ोर होना है.

5. एंकिलोसिंग स्पाॅन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) इस तरह का गठिया रोग वैसे को किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है, लेकिन ज़्यादातर यह रीढ़ की हड्डी में होता है, ऐसी अवस्था में व्यक्ति को आराम करते समय या रात को सोते समय भी कमर दर्द की समस्या हो जाती है.

6. जुवेनाइल इडियोपेथिक आर्थराइटिस (Juvenile Idiopathic Arthritis)यह एक ऐसे प्रकार का गठिया रोग है जो बच्चों में पाया जाता है, ऐसी अवस्था में हाथ, घुटनों, टखनों, कोहनियों, और कलाई में दर्द या सूजन की शिकायत देखने को मिलती है, हालांकि यह शरीर के अन्य अंगों पर भी अपना प्रभाव डाल सकता है.

7. रिएक्टिव आर्थराइटिस(Reactive Arthritis) इस तरह के गठिया रोग में व्यक्ति के जोड़ों, आंखों, त्वचा और मूत्रमार्ग प्रभावित होते हैं, आमतौर पर रिएक्टिव आर्थराइटिस का प्रभाव 20 से 40 वर्ष के लोगों के बीच में दिखाई देता है और ज़्यादातर पुरूषों में इसकी समस्या देखने को मिलती है.

गठिया रोग के दुष्प्रभाव

  • इस अवस्था में विभिन्न प्रकार का दर्द होता है, यहां तक कि कभी-कभी व्यक्ति अपना दैनिक कार्य करने में भी असमर्थ हो जाता है.
  • अगर किसी व्यक्ति में गठिया रोग की समस्या उत्पन्न हो जाती है तो उसके शरीर की हड्डियां कमज़ोर पड़ने लगती है, ऐसा होने पर विभिन्न परिस्थितियों, जैसे हाथ-पैर में सूजन, जोड़ों में दर्द और उठने-बैठने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
  • कई बार गठिया रोग की वजह से व्यक्ति के शरीर में अन्य बीमारियों के लक्षण भी पैदा हो सकते है, जैसे कि कार्पल टनल सिंड्रोम, दिल के दौरे का जोखिम, फेफड़े, आंखों, और हृदय में सूजन, आदि.

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