शिमला: पहाड़ों में मोटापा तेजी से फैलने लगा है. जिसका मुख्य कारण डॉक्टरों द्वारा खानपान में बदलाव और फिजिकल एक्टिविटी का काम होना बताया जा रहा है. वहीं, अब वयस्कों से हटके बच्चों में भी मोटापा आने लगा है. जिसके कारण हिमाचल में बढ़ी संख्या में बच्चे मोटापे का शिकार होने लगे हैं. बच्चों में मोटापे का मुख्य कारण जंक फूड खाना, फिजिकल एक्टिविटी का न होना, सारा दिन टीवी या फोन के साथ बैठे रहना बताया जा रहा है. आज 26 नवंबर को विश्व मोटापा विरोधी दिवस मनाया जाता है.
हिमाचल में मोटापे का खतरा: हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है और यहां लोगों को पैदल अधिक चलना पड़ता है. ऐसे में हिमाचल में मोटापे का बढ़ना किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है. हिमाचल में मोटापे की स्थिति को लेकर आईजीएमसी शिमला में मेडिसिन विभाग में एचओडी डॉक्टर बलवीर वर्मा ने बताया कि पहाड़ों में अब मोटापा तेजी से बढ़ने लगा है. शहरों से गांव की ओर मोटापा बढ़ रहा है. इसका कारण लोगों द्वारा खान-पान में बदलाव फिजिकल एक्टिविटी का कम होना है. उन्होंने बताया कि पहले गांव में लोग काम करते थे और पीठ पर बोझ ढो कर लाते थे, जिससे वह एकदम फिट रहते थे, लेकिन आज कल लगभग सबके घरों में गाड़ियां मौजूद हैं. लोग सामान उठाने या कुछ भी करने के लिए गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं. जिससे लोगों में अब फिजिकल एक्टिविटीज कम होती जा रही है और ग्रामीण इलाकों में भी मोटापे की समस्या बढ़ रही है.
10-12 साल के बच्चे हो रहे मोटापे का शिकार: डॉ. बलवीर वर्मा ने बताया कि अब 10 से 12 साल के छोटे बच्चों में भी मोटापा देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि 40 से 50 साल के कई वृद्ध अभी भी फीट हैं. जो की नियमित व्यायाम करते हैं और फिजिकल एक्टिविटी करते रहते हैं, लेकिन आज कल टेक्नोलॉजी के दौर में बच्चे खेलना तो बिल्कुल भूल ही गए हैं. जंक फूड खाना, अधिक समय तक टीवी देखते रहना, टीवी देखते ही देखते जंक फूड खाना, खेल-कूद से दूरी बना लेना, लगातार बेकरी प्रोडक्ट खाना, ये मोटापे का कारण बन रहा है. उन्होंने कहा कि 12 साल के बच्चों में भी कोलेस्ट्रॉल होने लगा है, जो की चिंता का विषय है.
हिमाचल में एब्डोमिनल ओबेसिटी:डॉ. बलवीर वर्मा ने बताया कि ज्यादा मेहनती और चलने फिरने की वजह से हिमाचल के लाेगाें का वजन सेहत के लिहाज से हमेशा से बेहतर माना गया, लेकिन अब अनहेल्दी लाइफस्टाइल और आराम भरी जिंदगी ने न सिर्फ लाेगाें का वजन बढ़ाया है. बल्कि हिमाचल में कई लोग एब्डोमिनल ओबेसिटी यानी कई राेगाें का कारण बनने वाले पेट के मोटापे की चपेट में भी आ चुके हैं. एब्डोमिनल ओबेसिटी सेहत के लिए बेहद ही खतरनाक बताया जाता है. हिमाचल के लाेगाें में एब्डोमिनल ओबेसिटी देश के मुकाबले ज्यादा है. देश में जहां पेट के मोटापे का सामना लगभग 37 फीसदी लोग कर रहे हैं. वहीं, हिमाचल में लगभग 60 फीसदी लोग पेट के मोटापे की चपेट में आ गए हैं. प्रदेश के लाेगाें में हरियाणा और उत्तराखंड से भी ज्यादा फीसदी मोटापा है.
डायबिटीज-हार्ट प्रॉब्लम को आमंत्रण: मोटापा डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम को सीधा आमंत्रण देता है. मोटापे से डायबिटीज होने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है. इसके अलाव वजन ज्यादा होने से आर्थराइटिस, दिल, लिवर और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का खतरा भी बना रहता है. मोटापे के कारण पेट संबंधी बीमारियां, जिनमें गैस, बदहजमी और अपच की समस्या हर समय बनी रहती है. रात को नींद न आना और डिप्रेशन में रहना भी मोटापे के कारण होता है.
मोटापा 2 दशकाें के खराब लाइफस्टाइल की देन: हिमाचल प्रदेश में पिछले दो दशकों के खराब लाइफस्टाइल ने लोगों में मोटापा बढ़ा दिया है. पहले लोग कई किलोमीटर का सफर पैदल तय करते थे. जबकि अब घर-घर सड़कें पहुंचने के कारण लोग गाड़ियों में ज्यादा सफर करते हैं. लोग बहुत कम पैदल चलते हैं, जिससे मोटापा बढ़ता जा रहा है. जबकि लोगों में अब व्यायाम को लेकर भी उदासीनता देखी गई है, जिसके कारण भी लोगों में मोटापा बढ़ रहा है. देर रात तक जागे रहना और नींद कम लेना भी इसके कारण हैं.