शिमला:एचआईवी/एड्स एक ऐसा संक्रामक रोग है, जिसके बारे में जानकारी ही बचाव है. हिमाचल में 5332 एड्स से पीड़ित मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं. इसमें युवा व बच्चे भी शामिल हैं. यह जानकारी एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से दी गई है. हिमाचल सरकार ने एचआईवी/एड्स की बीमारी से पीड़ित लोगों की जांच और इलाज दोनों ही सरकारी अस्पताल में निशुल्क होता है. इलाज का पूरा खर्चा सरकार देती है. (World AIDS Day) (HIV positivity rate in Himachal) (HIV AIDs cases in Himachal)
आईजीएमसी में 920 मरीज करा रहे इलाज:बात अगर शिमला स्थित आईजीएमसी अस्पताल की कि जाए तो यहां अभी 920 मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं जिसमें 514 पुरुष, 350 महिला, 28 बच्चे, 27 बच्चियां और एक ट्रांसजेंडर शामिल है. हिमाचल में 52 सेंटर में टेस्टिंग की सुविधा है जबकि 3 सेंटर आईजीएमसी, टांडा और हमीरपुर में एआरटी सेंटर है जहां पर इलाज किया जाता है. (World AIDs Day 2022) (HIV positivity rate in India)
युवाओं में एड्स के लक्षण ज्यादा-एनएचएम के डिप्टी एमडी डॉ. गोपाल बेरी ने बताया कि हिमाचल में नशे के आदी युवा नशा करने के लिए सिरिंज का प्रयोग कर एड्स फैलने को खुला न्योता दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि इन दिनों युवा वर्ग सिरिंज के माध्यम से तरह-तरह के नशे का प्रयोग कर रहे हैं. वैसे तो हिमाचल में सभी प्रकार के लोगों में एड्स की बीमारी देखी गई है, लेकिन युवा लोगों में ज्यादा लक्षण दिखाई दे रहे हैं. पीछले साल की अपेक्षा इस बार प्रदेश में एड्स के मामलों में जरूर कमी आई है, फिर भी वर्तमान में 52 केंद्रों में 5332 लोग एड्स की दवाइयां ले रहे हैं. (AIDs day theme 2022)
एड्स के लक्षण दिखते है करवाएं चेकअप-एआरटी सैंटर की अगर बात की जाए तो यहां कुछ बच्चों के नाम दर्ज हुए हैं, जिनमें एड्स की बीमारी फैली हुई है. बच्चों में एड्स का मुख्य कारण यह है कि मां अगर सुरक्षित नहीं है तो बच्चों में एड्स होना बिल्कुल तय है. अगर किसी बच्चे की मां एड्स से पीड़ित है और वह समय से अपना इलाज नहीं करवाती है तो बच्चों में एड्स होने की अधिक संभावना होती है. इसलिए चिकित्सकों द्वारा यही तर्क दिया जा रहा है कि महिलाओं को जैसे ही एड्स के लक्षण दिखते है तो वे समय से अस्पताल जाकर अपना चेकअप करवाएं. (HIV AIDs Symptoms) (HIV AIDs awareness)
IGMC और टांडा में एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी-प्रदेश भर में कई ब्लड बैंक हैं और यहां पर हर साल रक्तदान शिविर भी लगाए जाते हैं. ब्लड बैंक द्वारा लगाए गए इन शिविरों में डोनर की काउंसलिंग भी की जाती है. इसके अतिरिक्त आईजीएमसी और टांडा में एड्स संक्रमण के इलाज के लिए एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी भी चल रही है. जहां पर इलाज की बेहतर व्यवस्था की गई है. प्रदेश में हर वर्ष लगभग तीन लाख से अधिक लोगों की एचआईवी जांच की जा रही है. लोगों के लिए यह बेहतर रहेगा की वह नशे से दूर रहें. इससे एड्स की संभावना अधिक रहती है. (HIV AIDs hospital in himachal)
टैटू सिरिंज से भी होता है एड्स-इन दिनों युवाओं में टैटू बनाना एक फैशन बन गया है. टैटू बनाने वाले जरा ध्यान दें कि जो सिरिंज इसमें इस्तेमाल होती है वह क्या सही है या नहीं. चिकित्सकों की मानें तो अगर यह सिरिंज ठीक नहीं है तो एड्स फैलना तय है. टैटू बनाने वाले काफी लोगों में एड्स के लक्षण सामने आए हैं. स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी की तरफ से जिला ऊना, बिलासपुर, मंडी, टांडा, शिमला, हमीरपुर सहित अन्य जिलों में एआरटी केंद्र खोले गए हैं. जहां पर एड्स से पीड़ितों को निशुल्क दवाईयां दी जाती है.