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रोहडू में बागवानी विभाग की कार्यशाला का आयोजन, महिलाओं ने फलों से बनाये खाद्य एवं पेय उत्पाद

बागवानी विभाग रोहडू की ओर सेब व दूसरे फलों से लोकल स्तर पर खाद्य एवं पेय उत्पादों को बनाने और उसके विपणन को लेकर स्वंय सहायता समूहों के लिए एसडीएम कार्यालय सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में रोहड़ू क्षेत्र के 9 स्वंय सहायता समूहों व सामाजिक संस्था वेद माता गायत्री परिवार की करीब 25 महिलाओं ने भाग लिया.

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Published : Jul 18, 2020, 8:32 PM IST

रोहडू/शिमला:जिला प्रशासन के निर्देशानुसार बागवानी विभाग रोहडू की ओर सेब व दूसरे फलों से लोकल स्तर पर खाद्य एवं पेय उत्पादों को बनाने और उसके विपणन को लेकर स्वंय सहायता समुहों के लिए एसडीएम कार्यालय सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक अध्यक्ष शशी बाला भी विशेष रूप से उपस्थित रहीं. वहीं, रोहडू बीजेपी मंडल के अध्यक्ष बलदेव रांटा व महामंत्री शशी रावत भी विशेष रूप सें मौजूद रहे.

इस कार्यशाला में रोहडू क्षेत्र के 9 स्वंय सहायता समूहों व सामाजिक संस्था वेद माता गायत्री परिवार की करीब 25 महिलाओं ने भाग लिया. इस दौरान महिलाओं ने बागवानी विभाग रोहड़ू के एचओडी कुशल मेहता, डॉ. देवराज व प्रशिक्षक अमरजीत सिंह के मार्गदर्शन में सेब,अंगूर व पुदीने का जूस और लहसून व सेब का आचार भी तैयार किया.

वीडियो रिपोर्ट.

इस अवसर पर कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक की अध्यक्ष शशीबाला ने बताया कि स्वंय सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर बैंक के तहत अनेकों योजनाओं से लाभ लिया जा सकता है, जिससें महिलाओं की आर्थिकी को सशक्त करने में बल मिलेगा.

शशी बाला ने बताया कि स्वंय सहयता समूहों एवं महिलों को स्थानीय स्तर पर काम शुरू करने के लिए स्टेट मिशन ऑफ फूड प्रोसेसिंग योजना मे 33.33 फीसदी सब्सिडी का लाभ लिया जा सकता हैं. वहीं, उत्पादन के विपणन में प्रयुक्त होने वाले वाहन को खरीदने में 50 फीसदी सब्सिडी की व्यवस्था हैं.

वहीं, अन्य कल्याणकारी योजनों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत भी सरकार की ओर से अपना काम शुरू करने व रोजगार स्थापित करनें में पुरूषों को 25 फीसदी अनुदान व महिलों को 30 से 35 फीसदी अनुदान पर ऋण की सुविधा दी जा रही है.

शशी बाला ने कहा की महिलाएं कुछ भी कर सकती है. उन्होने कहा महिलाओं को हमारे इलाके मिल रही वस्तुएं जैसे की लिगड़, सेब पल्म आदि अन्य वस्तुएं से खाने-पीने की वस्तओं को बनाकर बाजार में लाना चाहिए, जिससे महिलाएं स्वावलंबी बन सके.

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