किन्नौर: खाने पीने के सामान को अकसर घर के अंदर रखा जाता है. इसके साथ ही इस आधुनिक युग में अनाज और खाने पीने के सामान को खराब होने से बचाने के लिए अक्सर बड़े बड़े हाईटैक गोदामों या फ्रिजर में स्टोर किया जाता है. खाद्य पदार्थ महीनों तक सुरक्षित रहें इसके लिए प्रिजर्वेटिव और रसायनों का भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन किन्नौर में लोग सालों से राशन को उर्स में जमा करते आ रहे हैं. इसे स्थानीय लोग कुठार भी कहते हैं. उर्स यानी कुठार एक तरह का लकड़ी से बना एक छोटा से गोदाम ही होता है. किन्नौर में लोग इसका इस्तेमाल राशन को जमा करने के लिए करते हैं.
देवदार-अखरोट की लकड़ी से बनता है उर्स
उर्स को लकड़ी से बनाया जाता है. इसे हमेशा घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर ही तैयार किया जाता है. उर्स की दीवारों को देवदार-अखरोट की लकड़ी से तैयार किया जाता है. इसके अंदर 8 से 10 छोटे-छोटे संदूक के आकार के डब्बे होते हैं. इन्हीं डब्बों के अंदर चावल,आटा,दालें,चीनी के साथ-साथ हर दूसरी वो चीज रखी जाती है जो किचन में पूरा साल इस्तेमाल होती है. इसके अलावा इसमे सेब, सूखे अंगूर, अखरोट,चिलगोजा, मेवे रखे जाते हैं. उर्स के अंदर रखा सामान 2 से 3 साल तक बिल्कुल खराब नहीं होता. ना ही इसके अंदर रखे आनाज में नमी और ना ही कीड़े लगते हैं.
कठिन भौगोलिक परिस्थितियां
किन्नौर एक विषम भौगौलिक परिस्थितियों वाला दूरदराज का इलाका है. सर्दियों में बर्फबारी के कारण छह महीने तक पूरा इलाका देश दुनियां से कट जाता है. इस दौरान घर से बाहर निकलना मुश्किल होता है. इसलिए लोग महीनों का राशन एक साथ खरीदकर उर्स में स्टोर कर लेते थे, क्योंकि भारी बर्फबारी और बारिश में भी इसके अंदर रखा सामान कभी खराब नहीं होता है.