शिमला: कोरोना के कहर के बीच अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की सप्लाई मांगी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोरोना महामारी के संक्रमण के बीच इस दवाई की सप्लाई को लेकर आग्रह किया है.
महामारी के बीच इस दवा के चर्चे अमेरिका से लेकर भारत तक हैं. कोरोना का सबसे ज्यादा कहर झेल रहे अमेरिका ने आखिर क्यों मांगी भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीनी नाम की दवा. आखिर किस मर्ज की है ये दवा और कोरोना संक्रमण के बीच क्यों हो रही है इस दवा की पूछ. इन सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC के एमएस डॉ. जनकराज से खास बातचीत की.
एमएस डॉ. जनकराज ने कहा कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन मेडिसिन का इस्तेमाल भारत में मलेरिया और कुछ चर्म रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. डॉ. जनकराज के मुताबिक कोरोना को लेकर हुए शुरुआती शोध में इस दवा के अच्छे परिणाम सामने आए हैं, हालांकि शोध जारी है और इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
मर्जी से ना करें इस दवाई का सेवन
दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार भी गर्म है. कुछ दवाओं को कोरोना वायरस का इलाज बताया जा रहा है जबकि ये कोरा झूठ है. क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस की कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है. डॉ. जनकराज ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस दवा का सेवन अपनी मर्जी से ना करें. ये आम मेडिसिन से अलग है अगर कोई व्यक्ति इस दवाई का सेवन मर्जी से करेगा तो इसके भयानक परिणाम हो सकते हैं.
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई के साइडइफेक्ट
इससे आंखों की रोशनी और लिवर डेमेज हो सकता है. चिकित्सक इस मेडिसिन को मरीज को ईसीजी टेस्ट के बाद ही जरूरत पड़ने पर सेवन करने की सलाह देते हैं.