शिमला:पर्यटन स्थल कुफरी में घोड़ों की लीद (dung) अब व्यर्थ नहीं जाएगी अब इससे कमाई होगी. घोड़ों की लीद से अब मीथेन और सीएनसी गैस तैयार की जाएगी. पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से साडा (State Annual Development Agenda) इस जगह पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने जा रहा है.
इस प्लांट के लगने के बाद कुफरी में जितने भी घोड़े हैं उनकी लीद को इस प्लांट में इस्तेमाल किया जाएगा. जिससे मीथेन और सीएनजी गैस तैयार की जाएगी. वहीं, लीद (dung) से जो गंदगी और दुर्गंध कुफरी में फैल रही है उस से भी निजात मिलेगी.
हालांकि पिछले तीन-चार सालों से विभाग की यह योजना चल रही थी जिसे अब सिरे चढ़ाया गया है. बता दें कि 3.30 करोड़ की लागत से पीपीपी मोड पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया जाना है. जिस कंपनी के साथ एमओयू हुआ है उसने जयपुर में प्लांट बनाकर तैयार कर लिया है और मार्च के अंत तक इस प्लांट को वहां स्थापित भी कर दिया जाएगा.
बता दें कि घोड़े की लीद में 51 प्रतिशत मीथेन और 43 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड होती है. 2 .5 मीट्रिक टन क्षमता के इस प्लांट से प्रतिदिन 100 क्यूबिक मीटर गैस तैयार होगी, जोकि कुफरी (Kufri) के होटलों में सप्लाई की जाएगी. इस प्लांट में न केवल घोड़ों के लिए बल्कि कुफरी (Kufri) के होटलों के किचन वेस्ट उसका भी निष्पादन किया जाएगा.
टेंडर भी किया गया है व जगह का चयन भी कर लिया गया है
शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी (DC Aditya Negi) ने कहा कि कुफरी में घुड़सवारी होती है. जिसके चलते लीद के कारण काफी गंदगी होती है. इसको देखते हुए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने का फैसला लिया गया है और इसके लिए टेंडर भी किया गया है व जगह का चयन भी कर लिया गया है और जल्द इसके लिए कार्य शुरू किया जाएगा. इसके लिए प्री फेब्रिकेटिड स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा. जिसमें घोड़े की लीद को एकत्रित किया जाएगा.
'लीद को समय पर उठाया जाएगा जिससे यहां गंदगी नहीं रहेगी'
वहीं, बात करें कुफरी की तो यहां एक हजार से ज्यादा घोड़े हैं, जोकि पर्यटकों को कुफरी से ऊपर ले जाते हैं. वहीं, घोड़ा यूनियन के प्रधान शालेग्राम शर्मा ने कहा कि कुफरी में एक हजार घोड़े पंजीकृत हैं और यहां वे सुबह आठ बजे से लेकर शाम 4 बजे तक घुड़सवारी करवाते हैं.