हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

सबको मंजिल का शौक है, मुझे रास्ते का...स्मृतियों में शेष रहेंगे आखिरी बजट भाषण में ये शेर पढ़ने वाले वीरभद्र

देवभूमि में आम जन के बीच राजा साहिब के नाम से पुकारे जाने वाले वीरभद्र सिंह अब अनंत सफर पर हैं. यहां ईटीवी वीरभद्र सिंह की स्मृतियों से जुड़े कुछ पल अपने पाठकों के साथ सांझा कर रहा है. ये पल उस समय के हैं, जब वीरभद्र सिंह हिमाचल के सीएम थे और अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश कर रहे थे.

By

Published : Jul 9, 2021, 1:22 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 1:30 PM IST

virbhadra-singh-memories-during-budget-speech-before-the-last-rites
फोटो.

शिमला: छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह अब स्मृतियों में शेष रहेंगे. देवभूमि में आम जन के बीच राजा साहिब के नाम से पुकारे जाने वाले वीरभद्र सिंह अब अनंत सफर पर हैं. छह दशक के लंबे सामाजिक व राजनीतिक जीवन के दौरान उन्होंने हिमाचल की जनता के स्नेह के रूप में जो पूंजी कमाई है, वो किसी बिरले को ही नसीब होती है. यहां ईटीवी वीरभद्र सिंह की स्मृतियों से जुड़े कुछ पल अपने पाठकों के साथ सांझा कर रहा है.

ये पल उस समय के हैं, जब वीरभद्र सिंह हिमाचल के सीएम थे और अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश कर रहे थे. ये बात 10 मार्च 2017 की है. उस समय वीरभद्र सिंह की आयु तिरासी साल की थी, लेकिन उम्र का आंकड़ा उनके जोश पर हावी नहीं हो सका था. चार घंटे से अधिक समय तक अंग्रेजी में उन्होंने बजट भाषण पढ़ा. इस दौरान उन्होंने कई आशार भी सुनाए. उनमें से एक शेर पर खूब तालियां बजी थीं. वीरभद्र सिंह ने कहा था- सबको मंजिल का शौक है, मुझे रास्ते का. इस शेर को सुनाने वाला राजनेता अब अपनी अंतिम मंजिल के लिए सफर पर निकला है और रास्ते में है.

मार्च 2017 में वीरभद्र सिंह के राजनीतिक जीवन का बीसवां बजट था. ये उपलब्धि बहुत कम नेताओं के हिस्से आती है। वीरभद्र सिंह ने तब अपने बजट भाषण में कुल 19 आशार पढ़े थे. साथ ही अंग्रेजी में ब्रोकर टी वाशिंगटन की सूक्ति सहित अंग्रेजी में ही कुछ अन्य सूक्तियां भी उद्धृत की थीं. हिमाचल की वित्तीय कठिनाइयों की बात करने के बाद तब वीरभद्र सिंह ने जो शेर पढ़ा था, तब सत्ता पक्ष काफी देर तक मेज थपथपाता रहा था. उन्होंने उस समय जो पहला शेर पढ़ा था, वो कुछ इस तरह था-

मेरा यही अंदाज जमाने को खलता है
इतनी मुश्किलें सहकर भी ये सीधा कैसे चलता है.

वीरभद्र सिंह ने जिक्र किया था कि कैसे तमाम कठिनाइयों के बावजूद उनकी सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा दिया. वित्तीय अनुशासन की बात कहने के बाद सीएम ने फिर से निम्न शेर पढ़ा था.

अपनी उलझनों में ही अपनी मुश्किलों के हल मिलते हैं.
जैसे टेढ़ी-मेढ़ी शाखाओं पर ही रसीले फल मिलते हैं.

एक अन्य शेर में वीरभद्र सिंह ने समय में बदलाव का संकेत दिया. उन्होंने कहा-

दिनों के बदलने का इंतजार किसे है.
आपके दिल को बदल सकूं, इंतजार उस दिन का मुझे है.

युवाओं को प्रेरणा देने के लिए ब्रोकर टी वाशिंगटन की सूक्ति को उद्धृत करते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा था-नो रेस कैन प्रोस्पर, टिल इट लन्र्स दैट देयर इज एज मच डिगनिटी इन टिलिंग ए फील्ड एज इन राइटिंग ए पोइम.

इसके बाद एक अन्य इस शेर पर सत्ता पक्ष ने जमकर मेज थपथपाई. शेर इस तरह था

हवा से कह दो कि खुद को आजमा के दिखाए.
बहुत चिराग बुझाती है, इक जला कर तो दिखाए.

कृषि सेक्टर से जुड़ी घोषणाएं करते हुए उन्होंने निम्न शेर पढ़ा था.
मेहनत से उठा हूं, मेहनत का दर्द जानता हूं.
आसमां से ज्यादा जमीं की कदर जानता हूं.

पशुधन की सेवा पर बात करते हुए उन्होंने अंग्रेजी में एक मार्मिक सूक्ति पढ़ी. उन्होंने कहा था-अनटिल वन हैज लव्ड एन एनिमल, ए पार्ट ऑफ वन्स सोल रिमेन्ज अन-अवेकंड. वीरभद्र सिंह ने ग्रामीण आजीविका योजना पर बोलते हुए भी एक शेर पढ़ा था.

मैं किसी से बेहतर करूं, क्या फर्क पड़ता है.
मैं किसी का बेहतर करूं, बहुत फर्क पड़ता है.
वीरभद्र सिंह ने एक और शेर में कहा था.
अंदाज कुछ अलग ही है मेरे सोचने का.
सबको मंजिल का शौक है मुझे रास्ते का.

बेरोजगार युवाओं को भत्ते का ऐलान करते समय वीरभद्र सिंह ने जो शेर पढ़ा, उस पर उन्हें विपक्ष की तरफ से भी खूब दाद मिली थी. विपक्षी दल भाजपा के युवा सदस्यों ने वीरभद्र सिंह से फिर से उसी शेर को पढ़ने का आग्रह किया तो वीरभद्र सिंह बोले, कागज-पेन लेकर लिख भी लो. इस पर सदन में ठहाके गूंज गए। शेर इस तरह था.

ऐ परिंदे यूं जमीं पर बैठकर क्यूं आसमां देखता है
पंखों को खोल, क्योंकि जमाना सिर्फ उड़ान देखता है.

अपने आखिरी बजट भाषण में वीरभद्र सिंह ने जय हिंद, जय हिमाचल कहने से पूर्व एक आखिरी शेर पढ़ा था.

रास्ते कहां खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में
मंजिल तो वहीं है, जहां ख्वाहिशें थम जाएं.

वीरभद्र सिंह बेशक जीवन यात्रा पूरी कर अनंत सफर पर निकल चुके हैं, लेकिन हिमाचल की जनता के दिलों में उनकी जगह हमेशा बनी रहेगी. हिमाचल विधानसभा में उनकी छह बार की मुख्यमंत्री के रूप में पारी इतिहास में स्वर्णिम युग के तौर पर दर्ज हो गई है.

जेपी नड्डा ने पीएम मोदी की तरफ से वीरभद्र को अर्पित किए श्रद्धा सुमन, कहा: उनका जाना बहुत बड़ी क्षति

Last Updated : Jul 9, 2021, 1:30 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details