शिमला:हिमाचल में कभी गर्मी तो कभी बारिश के चलते मौसम में बदलाव लगातार हो रहा है. इसका असर नौनिहालों पर पड़ रहा है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी सहित दूसरे जिलों में भी बच्चों को वायरल फीवर के साथ लंग्स इन्फेक्शन हो रहा है, जिसके कारण काफी संख्या में बच्चों को इलाज कराने के लिए परिजन सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में पहुंच रहे हैं.
एक बेड पर दो बच्चों का हो रहा इलाज: आईजीएमसी में प्रतिदिन 40 से 50 बच्चे वायरल फीवर तो करीब 30 से 35 बिजी बच्चे लंग्स इन्फेक्शन के पहुंच रहे हैं. आईजीएमसी में आलम यह है कि बच्चों को रखने के लिए अब बेड भी कम पड़ने लगे हैं .आईजीएमसी के चिल्ड्रन वार्ड में एक बेड पर 2 मरीज बच्चों को रखा जा रहा और उनका इलाज किया जा रहा है.
इन्फेक्शन इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण:आईजीएमसी में चिल्ड्रन विभाग में प्रोफेसर डॉ. प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि बच्चों में इन्फेक्शन इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण हो रहा है. उन्होंने बताया कि मौसम में लगातार बदलाव के चलते ऐसा हो रहा है. उनका कहना है कि कोरोना काल में बच्चे घर पर ही रहे, जिसके कारण उन्हें नॉर्मल वायरल इन्फेक्शन भी नहीं हुआ, जिससे इनकी इम्यूनिटी कमजोर रही.
परिजनों को रखना चाहिए सावधानी:डॉक्टर भारद्वाज ने बताया कि अधिकतर बच्चे वायरल इन्फेक्शन के ही आ रहे हैं ,जो स्कूलों में एक दूसरे से फैल रहा है. उनका कहना है कि जो छोटे बच्चे हैं स्कूल नहीं जाते हैं वह भी बीमार हो रहे हैं .उसका कारण यह है कि जब बड़े बाहर से घर में आते हैं तो सावधानी नहीं रखते. मास्क इस्तेमाल नहीं करते और साबुन से हाथ नहीं साफ करते, जिसके कारण इन्फेक्शन फैलता और छोटे बच्चे बीमार हो जाते हैं.
ये है लक्षण:डॉक्टरों का कहना है कि इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है.वायरल फीवर के मुख्य लक्षण सर्दी जुकाम, खांसी गले में खराश आंखों में लाल पन रहना, बुखार आना मुख्य है. चिकित्सकों का मानना है कि बच्चों में लक्षण दिखाई देने पर तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर दवा शुरू करें ताकि बच्चों को जल्द राहत मिल सके.
ऐसे करना चाहिए बचाव:डॉ. प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि बच्चों को इन्फेक्शन से बचाने के लिए उन्हें ठंड से बचाना चाहिए. साथ ही नॉर्मल इन्फेक्शन होने से घबराए नहीं. यह 2 -4 र दिन बाद ठीक हो जाता है. चिकित्सक से अपने बच्चे को दिखाकर दवा शुरू करें. इसके अलावा साधवानी बरतना सबसे जरूरी है. यदि घर में बढ़ों को वायरल फीवर के लक्षण नजर आ रहे तो बच्चों से दूर रहने का प्रयास करें.
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