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HPU प्रशासन के खिलाफ ABVP, SFI और NSUI एक साथ प्रर्दशन जारी, कुलपति ने की ये बात

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Published : Oct 22, 2020, 9:36 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 10:03 PM IST

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इन दिनों लगातार छात्र संगठनों के आंदोलन हो रहे हैं. जब से एचपीयू ने पीजी कोर्सेज में प्रवेश को लेकर शेड्यूल जारी किया है और तय किया है कि एचपीयू पीजी कोर्सेज में छात्रों को प्रवेश मैरिट के आधार पर देगा.

HPU shimla
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शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इन दिनों लगातार छात्र संगठनों के आंदोलन हो रहे हैं. जब से एचपीयू ने पीजी कोर्सेज में प्रवेश को लेकर शेड्यूल जारी किया है और तय किया है कि एचपीयू पीजी कोर्सेज में छात्रों को प्रवेश मेरिट के आधार पर देगा.

इसी के विरोध में छात्र संगठनों में एचपीयू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और अब छात्र संगठन एचपीयू परिसर में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. एनएसयूआई के साथ ही एसएफआई और एबीवीपी तीनों ही छात्र संगठन एचपीयू प्रशासन के इस फैसले के विरोध में हैं. यही वजह है कि उन्होंने आंदोलन का रास्ता पकड़ा है ओर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया है.

वीडियो.

छात्र आंदोलन का ही यह असर हुआ है कि एचपीयू प्रशासन ने एमबीए और एलएलएम कोर्स की परीक्षाओं को करवाने का फैसला लिया है. अभी तक एचपीयू इन कोर्सेज में भी मेरिट के आधार पर ही छात्रों को प्रवेश देने वाला था, लेकिन छात्र संगठनों के आंदोलन को उग्र होता देख एचपीयू प्रशासन ने अपना फैसला बदला है.

एचपीयू ने दो कोर्सेज में तो प्रवेश परीक्षाएं करवाने का फैसला ले लिया, लेकिन छात्र संगठन अभी भी इस मांग पर अड़े हैं कि एचपीयू पीजी के हर कोर्स में प्रवेश के लिए प्रेवश परीक्षा करवाए. यही वजह है की आज भी परिसर में एसएफआई ओर एनएसयूआई ने प्रदर्शन किया और विवि प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. छात्र संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती है तब तक वह पीछे नहीं हटेंगे और एचपीयू को सभी कोर्सेज के लिए प्रवेश परीक्षा करवानी होगी.

एनएसयूआई

एनएसयूआई विवि इकाई के कैंपस अध्यक्ष प्रवीन मिन्हास का कहना है कि एनएसयूआई पीजी कोर्स में प्रवेश परीक्षा करवाने की मांग विश्वविद्यालय प्रशासन से कर रही है और यही वजह भी है कि लगातार आंदोलन विश्वविद्यालय परिसर में किया जा रहा है.

वहीं, कुलपति छात्रों की मांगों को सुनने के बजाय अपना तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं. एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस की ओर से दुर्व्यवहार किया जा रहा है. पुलिस उन्हें आंदोलन करने से रोक रही है. कुलपति छात्रों से ना मिलने के लिए कोविड-19 का बहाना बनाते हैं, लेकिन उसी कैंपस में जब दिल्ली और यूपी से गाड़ियां आती हैं, तो उन्ही लोगों से कुलपति गले मिल रहे हैं. तब उन्हें कोरोना का डर नहीं है.

एसएफआई

एसएफआई कैंपस अध्यक्ष गौरव नाथन ने कहा कि पहले दिन से ही जब विश्वविद्यालय ने यह तय किया है कि पीजी कोर्सेज में छात्रों को प्रवेश मेरिट के आधार पर दिया जाएगा. तब से ही एसएफआई विश्वविद्यालय परिसर में इस फैसले के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रही है.

अब छात्रों के आंदोलन को देखते हुए विश्वविद्यालय फैसला ले रहा है कि एमबीए और एलएलएम की प्रवेश परीक्षाएं करवाई जाएंगी, लेकिन यह झुनझुना विश्वविद्यालय छात्रों को नहीं दे सकता है और उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक विश्वविद्यालय पीजी के हर एक कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा नहीं करवाता है.

विश्वविद्यालय जो चालाकी छात्रों के साथ करना चाह रहा है वह किसी भी तरह से काम नहीं आएगी और जिस उद्देश्य के साथ यह आंदोलन शुरू किया गया है जब तक वह पूरा नहीं होता एसएफआई अपना आंदोलन जारी रखेगी.

एबीवीपी

एबीवीपी के प्रांत मंत्री राहुल राणा ने कहा कि एबीवीपी ने विश्वविद्यालय की ओर से पीजी कोर्सेज में मेरिट के आधार पर छात्रों को प्रवेश देने के फैसले के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया है. उसी आंदोलन की जीत है कि एचपीयू दो कोर्स की प्रवेश परीक्षाएं करवा रहा है. अभी भी एबीवीपी का यही मत है कि प्रवेश परीक्षाएं होनी चाहिए और एचपीयू प्रशासन, कुलपति का जो तानाशाही रवैया है. वह रवैया भी बंद होना चाहिए.

विरोध करने पर नहीं है कोई रोक: कुलपति

एचपीयू कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार का कहना है कि कोविड-19 की वजह से जो परिस्थितियां बनी हुई है उसी को देखते हुए विश्वविद्यालय ने यह फैसला लिया है कि इस बार पीजी कोर्स में प्रवेश मेरिट के आधार पर दिया जाएगा और प्रवेश परीक्षा नहीं करवाई जायेंगी.

अन्य विश्वविद्यालयों ने भी इसी पैटर्न पर प्रवेश छात्राओं को दिया है. यूजीसी ने 1 नवंबर से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत करने के आदेश जारी किए हैं और ऐसे में विश्वविद्यालय इस समय से सत्र की शुरुआत तभी कर सकता है. जब छात्रों को मेरिट के आधार पर पीजी कोर्स में प्रवेश दिया जाता है.

वहीं, छात्र संगठन आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें अपनी मांगे से रोका नहीं गया है. उनका लोकतांत्रिक अधिकार है और वह अपनी मांगें रख सकते हैं, लेकिन हाईकोर्ट के कुछ नियम है तोड़ा जा सकता है. छात्र उन्हें नहीं मान रहे हैं, जिसके चलते यह सख्ती बरती जा रही है.

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Last Updated : Oct 22, 2020, 10:03 PM IST

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