शिमला: शास्त्रीय संगीत के महान साधक और दैवीय कंठ के मालिक भीमसेन जोशी के संग रहकर निखरे उस्ताद राशिद खान को मलाल है कि आजकल की युवाओं में राग-रागिनियों के प्रति रुचि कम है. पहले के दौर में संगीत सीखने के चाहवान किसी कामिल गुरु के संग को तड़पते थे. अब हालात यह है कि उस्ताद ही शागिर्दों के पीछे भाग रहे हैं .
शास्त्रीय संगीत के एक आयोजन में अपने कंठ का जादू बिखेरने के लिए पहाड़ों की रानी शिमला आए उस्ताद राशिद खान ने ईटीवी से खास बातचीत में अपनी संगीत यात्रा के संस्मरण साझा किए. उन्होंने बताया कि उनका संगीत का सफर 6 वर्ष की आयु से शुरू हुआ था. इस आयु से ही उन्होंने रियाज शुरू किया था और शास्त्रीय संगीत की विघा उन्होंने अपने नाना उस्ताद निसार हुसैन खान से सीखी.
उनका संबंध रामपुर सहस्वान ओर ग्वालियर घराने से है. यूपी के बंदायू में उनकी तालीम हुई और 10 वर्ष की आयु में वह कोलकाता आ गए जहां से उनके संगीतमय सफर की शुरुआत हुई. उन्होंने अपनी स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि शास्त्रीय संगीत के हिंदुस्तानी संगीत शैली के सबसे प्रमुख गायक पंडित भीमसेन जोशी जिन्होंने उस्ताद राशिद खान को हिंदुस्तानी संगीत का भविष्य कहा है उनके साथ उन्होंने मुंबई में जुगलबंदी की थी.