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पहले शिष्य में होती थी संगीत सीखने की तड़प अब गुरु कर रहे शागिर्दों का पीछा: उस्ताद राशिद खान - Great seekers of classical music

उस्ताद राशिद खान ने कहा कि हम श्रोताओं के लिए है. एक कलाकार श्रोताओं की वजह से ही बनते है. श्रोता अगर नहीं होंगे तो कलाकार कलाकार नहीं होगा. श्रोताओं से ही हमारी पहचान है.

ustaad rashid khan
उस्ताद राशिद खान

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Published : Nov 26, 2019, 3:04 PM IST

Updated : Nov 26, 2019, 8:28 PM IST

शिमला: शास्त्रीय संगीत के महान साधक और दैवीय कंठ के मालिक भीमसेन जोशी के संग रहकर निखरे उस्ताद राशिद खान को मलाल है कि आजकल की युवाओं में राग-रागिनियों के प्रति रुचि कम है. पहले के दौर में संगीत सीखने के चाहवान किसी कामिल गुरु के संग को तड़पते थे. अब हालात यह है कि उस्ताद ही शागिर्दों के पीछे भाग रहे हैं .

शास्त्रीय संगीत के एक आयोजन में अपने कंठ का जादू बिखेरने के लिए पहाड़ों की रानी शिमला आए उस्ताद राशिद खान ने ईटीवी से खास बातचीत में अपनी संगीत यात्रा के संस्मरण साझा किए. उन्होंने बताया कि उनका संगीत का सफर 6 वर्ष की आयु से शुरू हुआ था. इस आयु से ही उन्होंने रियाज शुरू किया था और शास्त्रीय संगीत की विघा उन्होंने अपने नाना उस्ताद निसार हुसैन खान से सीखी.

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उनका संबंध रामपुर सहस्वान ओर ग्वालियर घराने से है. यूपी के बंदायू में उनकी तालीम हुई और 10 वर्ष की आयु में वह कोलकाता आ गए जहां से उनके संगीतमय सफर की शुरुआत हुई. उन्होंने अपनी स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि शास्त्रीय संगीत के हिंदुस्तानी संगीत शैली के सबसे प्रमुख गायक पंडित भीमसेन जोशी जिन्होंने उस्ताद राशिद खान को हिंदुस्तानी संगीत का भविष्य कहा है उनके साथ उन्होंने मुंबई में जुगलबंदी की थी.

भारत में शास्त्रीय संगीत के भविष्य को लेकर किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने अपने उस्तादों के पास सीखा. उनकी खिदमत की उनसे कुछ मिल जाए हमेशा यही चाहा और कभी भी कुछ भी मिल सकता है या जो भी मिला उसे सीखा. उन्होंने कहा कि जब भी मेरा कोई कार्यक्रम होता है तो वहां श्रोताओं में युवा वर्ग ज्यादा शामिल होता हैं और आज भी जब शिमला आए तो बहुत से स्कूली बच्चे मिलने आए.

बता दें कि पहाड़ों की रानी शिमला में उस्ताद राशिद खान की यह ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में दूसरी प्रस्तुति है. उस्ताद राशिद खान ने कहा कि हम श्रोताओं के लिए है. एक कलाकार श्रोताओं की वजह से ही बनते है. श्रोता अगर नहीं होंगे तो कलाकार कलाकार नहीं होगा। श्रोताओं से ही हमारी पहचान है.

शास्त्रीय संगीत के उस्ताद उस्ताद राशिद खान को संगीत के अलावा शॉपिंग का भी बेहद चाव है. उन्हें शॉपिंग करना बेहद पसंद है यही वजह भी रही की राजधानी शिमला पहुंचते ही उन्होंने सबसे पहले मॉल रोड पर घूमने के साथ जमकर शॉपिंग भी की.

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Last Updated : Nov 26, 2019, 8:28 PM IST

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