शिमला: कोरोना वायरस, सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटाइन और आइसोलेशन इन शब्दों के अलावा एक और शब्द है जो इन दिनों सबसे ज्यादा इंटरनेट पर सर्च किया जा रहा है या इसकी बात हो रही है. कोरोना के कहर के बीच संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए बुनियादी जरूरतों के अभाव में गंभीर चुनौतियां खड़ी हो गई हैं. इनमें वेंटिलेटर सबसे बड़ी जरूरत है.
पूरी दुनिया में तेजी से पैर पसार रहे कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से वेंटिलेटर की कम संख्या से हर मुल्क चिंता में है. अमेरिका से लेकर चीन तक और इटली से लेकर भारत तक सबको वेंटिलेटर चाहिए. वेंटिलेटर को लेकर आपके मन में भी कई सवाल होंगे. ईटीवी भारत ने आईजीएमसी शिमला के एमएस डॉ. जनक राज से खास बातचीत की. डॉ. जनकराज वेंटिलेटर से जुड़े हर सवाल का जवाब दे रहे हैं.
क्या है वेंटिलेटर
वेंटिलेटर एक तरह की मशीन है जो खुद से सांस लेने में असमर्थ लोगों को कृत्रिम रूप से सांस लेने में मदद करती है. ऐसे मरीज जिनके फेफड़ों में इंफेक्शन होता है या फेफड़े सही तरीके से काम नहीं कर पाते तो ऐसे मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा जाता है ताकि शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले फेफड़ों का काम वेंटिलेटर कर सके और मरीज का इलाज हो सके. वहीं, इलाज के बाद जब फेफड़ों में इन्फेकशन खत्म हो जाता है तो मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत नहीं होती.
कोरोना वायरस और वेंटिलेटर
कोविड-19 एक वायरल इंफेक्शन है जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं है. कोरोना वायरस रोगियों के फेफड़ों पर असर डालता है. करोना संक्रमित मरीज को कई बार इंटरस्टिशियल निमोनिया हो जाता है. वायरस फेफड़ों के भीतर सूजन पैदा कर देता है, जिससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है. ऐसी अवस्था में रोगी को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है ताकि शरीर के ऑर्गन को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके.