शिमलाः हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंध संशोधन विधेयक पर गुरूवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. इस बिल के अनुसार राज्य की सालाना लोन लिमिट जीएसडीपी के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत की जानी है.
इसी बिल को सीएम जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में रखा. बिल पर विपक्ष की तरफ से खूब हंगामा किया गया. विपक्ष की तरफ से उठाए गए सवालों पर सुरेश भारद्वाज ने जोरदार तर्कों सहित जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय की गल्तियों को भी जयराम सरकार ही ठीक कर रही है. यही नहीं, वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय लिया गए 19,199 करोड़ रुपए के लोन में से मौजूदा सरकार ने 19,486 करोड़ रुपए वापिस किया है। सुरेश भारद्वाज ने तथ्य पेश करते हुए कहा कि एफआरबीएम (फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट) एक्ट में प्रावधान है कि यदि फिस्कल डेफेसिट स्टेट जीडीपी से अधिक हो जाए तो अधिक खर्च को लेकर विधानसभा में बिल के जरिए कानूनी रूप दिया जाना चाहिए.
सुरेश भारद्वाज ने पूर्व सरकार पर लगाए आरोप
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार ने 2012-13 में तयशुदा सीमा से तीन फीसदी अधिक खर्च किया. तब 2012-13 में फिस्कल डेफिसिट से 3.60 फीसदी, 2013-14 में 4.23 फीसदी और 2014-15 में तीन फीसदी की बजाय 4.05 फीसदी खर्च किया और तो और वीरभद्र सिंह सरकार ने इसे कानूनी रूप भी नहीं दिया. इसके लिए न तो सदन में संशोधन बिल लाया और न ही चर्चा की. अब जयराम सरकार कांग्रेस सरकार की उस गलती को भी सुधार रही है.