शिमला: हिमाचल में सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन लागू करने की बात तो सरकार कर रही है. लेकिन, अभी तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है. हालांकि सरकार वजन के हिसाब से सेब बेचने का फैसला कर चुकी है और इसको लेकर आदेश भी जारी किए जा चुके हैं. मगर यूनिवर्सल कार्टन के बिना सेब को वजन के हिसाब से बेचना आसान नहीं होगा. इससे सेब की पेटियों के वजन को लेकर विवाद पैदा होने की संभावना भी है. बागवानों की मानें तो इससे आढ़ती मनमानी कर सकते हैं. यही वजह है कि समय रहते यूनिवर्सल कार्टन को लेकर कोई फैसला न होने से बागवान पसोपेश में हैं.
हिमाचल के निचले इलाकों में सेब का सीजन जुलाई के पहले सप्ताह में शुरू हो जाता है. इस तरह करीब दो माह का समय ही बाकी बचा है, मगर अभी तक सरकार ने यूनिवर्सल कार्टन को लेकर कोई फैसला नहीं किया है. हालांकि सरकार यूनिवर्सल कार्टन लागू करने की बात कर रही है. शिमला नगर निगम चुनाव में प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यूनिवर्सल कार्टन लागू करने की बात कही थी. यही नहीं सरकार ने इसको लेकर कानूनी अध्ययन करने की भी बात कही है. लेकि जिस धीमी रफ्तार से यह सब हो रहा है. उससे बागवानों की यूनिवर्सल कार्टन को लेकर आशंकाएं बढ़ रही हैं.
बागवानों, आढ़तियों और कार्टन निर्माताओं के साथ बैठक जरूरी: प्रदेश में अगर यूनिवर्सल कार्टन लागू करना है तो इसके लिए सभी स्टेक होल्डर से मीटिंग कर फैसला किया जाना जरूरी है. इसमें बागवानों के अलावा सेब खरीदने वाले आढ़ती और कार्टन निर्माता शामिल हैं. इन सभी पक्षों के साथ बातचीत कर इसको लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है. कार्टन बनाने वाले उद्योगों को भी इसके लिए तैयारियां करनी है. इसके लिए उनको कितना समय चाहिए, यह सब बैठक में तय किया जाना चाहिए था. मगर अभी तक इन उद्योगों से भी कोई बात नहीं हुई है.
इसलिए यूनिवर्सल कार्टन है सेब के लिए जरूरी:यूनिवर्सल कार्टन इसलिए जरूरी है कि क्योंकि इसमें एक निर्धारित मात्रा में ही सेब भरा जा सकता है. मौजूदा समय में सेब के लिए जो टेलीस्कोपिक कार्टन इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें 35 किलो तक भी सेब भरा जा रहा है, जबकि दाम औसतन 20 किलो की पेटी के हिसाब से मिल रहे हैं, क्योंकि एक स्टेंडर्ड पेटी की वजन 20 किलो ही माना जाता है. लेकिन टेलीस्कोपिक कार्टन में बागवानों को 30-35 किलो सेब भरने पर मजबूर किया जा रहा है. हालांकि सरकार ने अधिकतम 24 किलो सेब की पेटी का वजन तय किया है, लेकिन इसको ग्राउंड पर लागू करना आसान नहीं है. यही वजह है कि बागवान यूनिवर्सल कार्टन को ही इन स्थितियों में बेहतर मान रहे हैं.