शिमला: हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन शुरू होने में करीब एक माह का ही वक्त बचा है, लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक यूनिवर्सल कार्टन को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में बागवानों में सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता जा रहा है. सरकार ने सेब को वजन के हिसाब से बेचने का फैसला तो कर दिया है, लेकिन इसके लिए जो व्यवस्था की गई है, वो पुरानी ही है. यानी टेलीस्कोपिक कार्टन में ही बागवानों को अपना सेब भरना होगा. इससे हिमाचल की मंडियों में सेब को तोलने की दिक्कत तो आएगी ही, साथ में बाहरी मंडियों में इस सिस्टम से सेब नहीं बिक पाएगा. ऐसे में बागवानों को भारी नुकसान होने की आशंका है. यूनिवर्सल कार्टन पर समय रहते फैसला न करने से बागवानों में नाराजगी है. वहीं, बागवानों का संयुक्त किसान मंच इस मसले को लेकर बैठक बुलाकर जल्द ही अपनी रणनीति तैयार करेगा.
पुराने कार्टन के सहारे बागवान:हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अबकी बार मंडियों में सेब को वजन के हिसाब से बेचने का फैसला लिया है, लेकिन वजन के हिसाब से सेब बेचने के लिए व्यवस्था नहीं की है. मतलब सरकार ने पुराने कार्टन के सहारे बागवानों को छोड़ दिया है. जिसमें बागवानों को अबकी बार टेलीस्कोपिक कार्टन में ही सेब बेचने की नौबत आ रही है. यह वही कार्टन है जिसकी वजह से आज तक बागवानों को जमकर शोषण होता रहा है. अब सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने वजन के हिसाब से सेब बेचने की छूट बागवानों को दे तो दी है, लेकिन इसको जमीनी स्तर पर लागू करना आसान नहीं है. इससे बागवानों को अबकी बार भारी दिक्कतें आने वाली हैं, इसकी चिंता अभी से बागवानों को सताने लगी है.
टेलीस्कोपिक कार्टन से विवाद की संभावना:हिमाचल की मंडियों में भी इस सिस्टम को लागू करना आसान नहीं होगा. इससे बागवानों के साथ-साथ आढ़तियों को भी दिक्कत आएगी. पुराने कार्टन में सेब को बेचने से मंडियों में इसको तोलने में समय बर्बाद होगा और वजन को लेकर भी विवाद होने की संभावना भी रहेगी. यही वजह है कि बागवान इसका एकमात्र हल यूनिवर्सल कार्टन के रूप में देख रहे हैं, जिसको सरकार लागू नहीं कर रही.
24 किलो के सेब बॉक्स का बागवान कर रहे विरोध: सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी की है, उससे विवाद ज्यादा पनपने की आशंका है. नोटिफिकेशन में कहा गया है कि बागवान 24 किलो तक की पेटी को मार्केट में ले जा सकेंगे. इस तरह बागवानों को एक तरह से 24 किलो की पेटी भरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि आढ़ती मार्केट में इसी आधार पर पेटियों को खरीदने के लिए बागवानों पर दवाब डाल सकते हैं. ऐसे में बागवानों को अब भी पेटी के हिसाब से सेब के रेट मिलेंगे, इसकी भी वे आशंका जता रहे हैं. यही नहीं, मार्केट में ले जाने से पहले बागवानों को पेटियों में सेब को तोलना पड़ेगा. इसकी डिटेल भी बनानी होगी जो कि पेचीदा होगी, क्योंकि इसी डिटेल के आधार पर खरीददार मंडियों में बागवानों से सेब की खरीद करता है. फिर मंडियों में आढ़ती पेटियों का वजन करेंगे. अगर सेब का वजन किसी कारणवश पेटियों में बताए गए वजन से कम निकला तो फिर विवाद होगा. अगर पेटी का वजन उस पर दर्शाए गए वजन से मेल नहीं खाता तो फिर बागवानों से कटौती होगी.