शिमला: हरियाली को सहेजने के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे पहाड़ी प्रदेश हिमाचल ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और पहल की है. एशिया के पहले कार्बन क्रेडिट राज्य हिमाचल में जल्द ही एक बूटा बेटी के नाम से योजना पर अमल किया जाएगा.
उधर, देवभूमि के किसी घर में बेटी की किलकारी गूंजेगी, उधर धरती मां की कोख में एक पौधा रोपा जाएगा. ये जिम्मा संभालेगा हिमाचल का वन विभाग. प्रदेश भर में तैनात वन विभाग के गार्ड इस मुहिम में अहम भूमिका निभाएंगे. जिस घर में नवजात कन्या आएगी, उस घर के सदस्यों को वन विभाग की तरफ से एक पौधा दिया जाएगा. संबंधित बीट के गार्ड उस परिवार तक पौधा पहुंचाएंगे. योजना का नाम तय किया गया है-एक बूटा बेटी के नाम.
इस मुहिम को भावनात्मक लगाव देने के लिए प्रस्ताव रखा गया है कि पौधे की देखरेख में बेटी के माता-पिता प्रमुख भूमिका निभाएंगे. जिस तरह बेटी का पालन-पोषण बड़े ही स्नेह से किया जाता है, उसी तरह पौधे की देखरेख भी की जाएगी. इससे जनता के बीच पर्यावरण चेतना का भी विस्तार होगा और पौधे को बड़े होते देखना भी प्रदेश वासियों की स्मृतियों में दर्ज रहेगा. बेटियां भी बड़े होकर ये जान पाएंगी कि हिमाचल की हरियाली बचाने में उनका भी योगदान है.
वन विभाग के पीसीसीएफ अजय कुमार के अनुसार योजना का संपूर्ण खाका राज्य सरकार को भेजा जा रहा है. वन विभाग विभिन्न किस्मों के पौधे बांटेगा. यहां गौरतलब है कि इस उक्त योजना का ऐलान बजट सत्र में किया गया था. राज्य सरकार हरियाली का क्षेत्र यानी ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए वन महोत्सव व अन्य कार्यक्रम चलाती है. इस दफा भी वन विभाग सत्तर लाख से अधिक पौधे रोपेगा। इस बार कुल मिलाकर वन विभाग 9 हजार हेक्टेयर भूमि पर पौधे रोप रहा है.