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6 महीने की हुई सुखविंदर सरकार लेकिन एक लाख नौकरी वाली कैबिनेट का जारी है इंतजार - Congress Promise of One Lakh Jobs

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ ये रोष साफ दिखने लगा है. क्योंकि कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान पहली कैबिनेट में एक लाख नौकरियां देने का वादा किया था. सरकार को 6 महीने हो गए और कई कैबिनेट बैठकें हो गई लेकिन अब तक वो एक लाख नौकरियों वाली कैबिनेट नहीं हो पाई. जिसका इंतजार प्रदेश के युवा कर रहे हैं. हिमाचल में बेरोजगारी और कांग्रेस के एक लाख नौकरियों के वादे पर पढ़ें डिटेल रिपोर्ट

unemployment in himachal
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Published : Jun 13, 2023, 7:32 PM IST

Updated : Jun 13, 2023, 7:39 PM IST

एक लाख नौकरी का वादा 6 महीने बाद भी वादा ही है

शिमला:हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने 6 महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया है. विधानसभा चुनाव से पूर्व हिमाचल में कांग्रेस ने 10 गारंटियां दी थी. उनमें एक गारंटी पहली ही कैबिनेट में एक लाख नौकरियों से जुड़ी थी. प्रियंका वाड्रा ने सोलन में 14 अक्टूबर को रैली की थी. उस परिवर्तन संकल्प रैली में प्रियंका ने सत्ता में आने पर पहली ही कैबिनेट मीटिंग में ओपीएस और एक लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया था.

एक लाख नौकरी वाली कैबिनेट का इंतजार- पहली कैबिनेट में सुक्खू सरकार ने ओपीएस को तो हरी झंडी दे दी लेकिन युवाओं को सरकार बनने के 6 महीने बाद भी उस एक लाख नौकरी वाली कैबिनेट का इंतजार है. 11 दिसंबर 2022 को सुखविंदर सुक्खू ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 13 जनवरी 2023 को पहली कैबिनेट मीटिंग हुई. जिसमें कर्मचारियों को ओपीएस लागू करने का फैसला हुआ. बीते 6 महीने में 8 कैबिनेट बैठकें हो चुकी हैं लेकिन युवाओं को अब भी उस कैबिनेट का इंतजार है, जिसमें एक लाख नौकरियों का ऐलान होगा.

कांग्रेस ने पहली कैबिनेट में एक लाख नौकरी देने का वादा किया था

युवाओं के साथ आंकड़ों का खेल- कांग्रेस ने चुनावी माहौल में पहली कैबिनेट में एक लाख नौकरियों का वादा तो कर दिया लेकिन इसकी संभावनाएं अब तलाशी जा रही हैं. सुखविंदर सिंह सरकार ने एक लाख नौकरियों की संभावनाएं तलाश करने के लिए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अगुवाई में एक कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया था. उस कमेटी ने अपनी बैठकों में सरकारी और निजी सेक्टर में नौकरियों को लेकर खाका तैयार करने की कसरत की है. कैबिनेट सब-कमेटी ने सुझाव दिया था कि पहले साल बीस हजार नौकरियां दी जाएंगी. उससे ऐसा प्रतीत हुआ है कि कांग्रेस सरकार पूरे पांच साल में एक लाख नौकरियां देने का प्रयास करेगी. वैसे भी हिमाचल जैसे राज्य में सरकारी सेक्टर व निजी सेक्टर को मिलाकर भी पांच साल में पांच लाख रोजगार नहीं दिए जा सकते.

प्रियंका वाड्रा ने सोलन रैली में स्पष्ट तौर पर कहा था कि पहली ही कैबिनेट में एक लाख सरकारी नौकरियों का ऐलान किया जाएगा. अब आठ कैबिनेट मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन उस वादे पर अमल की सूरत नजर नहीं आती। प्रियंका वाड्रा ने सरकारी सेक्टर में एक लाख नौकरियां कही थीं, लेकिन यहां तो सरकारी व निजी सेक्टर को मिलाकर उसमें स्वरोजगार भी जोड़ दिया जाए तो भी एक लाख नौकरियां नहीं बनती.

हिमाचल में लगातार बढ़ रही है बेरोजगार युवाओं की तादाद

कर्मचारी चयन आयोग भंग, पुरानी भर्तियां भी फंसी- सरकार के लिए नौकरियां देने का मुद्दा करेला जैसा है और उस पर नीम सरकार संभालने के बाद चढ़ गया. क्योंकि नई नौकरियां तो दूर की बात, पुरानी भर्तियों के रिजल्ट और नियुक्तियां भी अधर में फंसी हैं. हमीरपुर में स्थित कर्मचारी चयन आयोग को धांधलियों के बाद भंग कर दिया गया था. उसमें नौ पोस्ट कोड के हजारों पदों की भर्तियां फंसी हैं. अभी उनका रिजल्ट भी नहीं आया है. छह जून को कैबिनेट मीटिंग से पहले ड्राइंग मास्टर भर्ती की इंतजार कर रहे युवा सीएम से मिलने के लिए शिमला आए थे. अब 18 जून के अगली कैबिनेट भी आ गई है, लेकिन फंसी हुई भर्तियों में कंडीशनल रिजल्ट का वादा भी पूरा नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री खुद कई बार जल्द रिजल्ट घोषित करने की बात कह चुके हैं लेकिन अब तक युवा रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं.

कैबिनेट बैठकें और नौकरी का पिटारा-हर बार होने वाली कैबिनेट बैठक पर युवा उम्मीद लगाए बैठे होते हैं कि शायद नौकरी का पिटारा खुले. पहली कैबिनेट 13 जनवरी को हुई उसमें ओपीएस बहाली का फैसला लिया गया. फिर मार्च की तीन तारीख को हुई कैबिनेट मीटिंग में 780 आशा वर्कर्स की भर्ती इन्सेंटिव आधार पर करने का फैसला लिया गया. ये भर्ती नेशनल हैल्थ मिशन में तय की गई थी. फिर 13 अप्रैल की कैबिनेट में सरकार ने स्कूल लेक्चरर के 523 पद भरने का ऐलान किया. मई महीने की पहली कैबिनेट में सरकार ने लोक निर्माण विभाग में जूनियर इंजीनियर (सिविल) के 50 और जूनियर ड्राफ्टसमैन के 30 पद भरने की घोषणा की थी. साथ ही जलशक्ति विभाग में डॉयरेक्ट भर्ती से सहायक अभियंता (सिविल) के 15 और जूनियर इंजीनियर (सिविल) के 50 पद भरने को मंजूरी दी गई थी. सहकारिता विभाग में सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति के खाली पड़े तीन पद और आयुर्वेदिक महाविद्यालय पपरोला में सीधी भर्ती से आयुष विभाग में प्रवक्ता के चार पद स्वीकृत किए थे.

हिमाचल की सुक्खू सरकार की 8 कैबिनेट बैठकें हो चुकी हैं

17 मई की कैबिनेट में सबसे बड़ा ऐलान- सुखविंदर सिंह सरकार ने 17 मई की कैबिनेट मीटिंग में शिक्षा विभाग 5291 पद भरने को मंजूरी दी. ये अब तक की नौकरियों से जुड़ी सबसे बड़ी मंजूरी थी. इसके अलावा डेंटल डॉक्टर्स के 28 पद भरने को स्वीकृति दी थी. फिर 6 जून की कैबिनेट में जेल विभाग में 89 पद भरने की घोषणा की गई. वहीं, सरकार ने अपने पहले बजट में सरकारी विभागों में 25 हजार फंक्शनल पद भरने की घोषणा की हुई है. अभी तक पुरानी भर्तियों में सिर्फ एक का रिजल्ट निकाला गया है.

हिमाचल में बेरोजगारी- ये बीते कुछ चुनावों में बड़ा सियासी मुद्दा भी रहा है. आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल में कुल 8.73 लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं. प्रदेश में 3 रीजनल, 9 जिला और 65 उप रोजगार कार्यालय हैं. आंकड़ों के मुताबिक कांगड़ा जिले में बेरोजगारों की सबसे बड़ी फौज है जो करीब 1.66 लाख के करीब है. इसके बाद मंडी, शिमला, ऊना, चंबा, हमीरपुर जिले का नंबर है. आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 31 मार्च 2021 तक प्रदेश में 2,79,365 लोग 4417 प्रतिष्ठानों में सरकारी क्षेत्र में जबकि 1,95,791 लोग 1824 निजी क्षेत्र में कार्यरत थे.

14 अक्टूबर 2022 को प्रियंका वाड्रा ने सोलन रैली में किया था वादा

विपक्ष ने शुरू की घेराबंदी-सुक्खू सरकार का कार्यकाल 6 महीने का हो चुका है और अब विपक्ष भी हमलावर हो चुका है. 10 महीने में लोकसभा चुनाव भी होने हैं ऐसे में ये हमले हर बीतते दिन के साथ तीखे होंगे. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का कहना है कि छह महीने में सरकार ने गारंटियों को लेकर कुछ नहीं किया है. एक लाख सरकारी नौकरियों का वायदा किया गया था. युवा इस वादे के पूरा न होने से आक्रोश में हैं. वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राजीव बिंदल का कहना है कि कांग्रेस ने झूठी गारंटियां देकर प्रदेश के युवाओं को ठगा है. छह माह में ही सरकार से युवाओं का मोह भंग हो गया है. वहीं, रोजगार पर कैबिनेट-सब कमेटी के चेयरमैन हर्षवर्धन चौहान का कहना है कि कांग्रेस सरकार अपनी गारंटियों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. चरणबद्ध तरीके से गारंटियों को पूरा किया जाएगा. विभागों में खाली पद भरने की प्रक्रिया जारी है.

कांग्रेस ने चुनाव के दौरान दी थी 10 गारंटियां

समस्या गंभीर, समाधान मुश्किल- हिमाचल में बेरोजगारी बड़ी समस्या है. हर साल बढ़ती बेरोजगारों की फौज इस समस्या को दिन-ब-दिन विकराल बना रही है. सवाल है कि एक लाख नौकरियों का वादा कैसे पूरा होगा ? वो भी हिमाचल जैसे राज्य में जहां निजी सेक्टर में बड़े शहरों जैसे ऑप्शन नहीं है. हिमाचल प्रदेश के पूर्व वित्त सचिव केआर भारती कहते हैं कि सरकारी क्षेत्र में रोजगार के साधन सीमित हैं ऐसे में निजी सेक्टर को और विकसित करना होगा. स्वरोजगार को भी बढ़ावा देना होगा. केआर भारती के मुताबिक हिमाचल में बागवानी और पर्यटन जैसे सेक्टर्स में बहुत स्कोप है. इन दोनों सेक्टर्स में सरकार को बड़े कदम उठाने होंगे ताकि रोजगार के साधन बढ़ाए जा सकें. सीएजी ने भी हिमाचल सरकार को इसी तरह के सुझाव दिए थे, जिससे प्रदेश का राजस्व बढ़ने के साथ-साथ युवाओं को रोजगार भी मिले.

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Last Updated : Jun 13, 2023, 7:39 PM IST

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