हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

हिमाचल में 30 साल से कम उम्र की महिलाओं को हो रही रसौली, कारण जानकर रह जाएंगे हैरान - रसौली से बचाव

Tumor in Women in Himachal: हिमाचल प्रदेश में महिलाओं में रसौली की समस्या गंभीर होती जा रही है. हिमाचल प्रदेश के महिला एवं शिशु रोग अस्पताल में इस साल अब तक इसके करीब 78 मामले आ चुके हैं. वहीं, अब 30 साल से कम उम्र की महिलाएं भी ट्यूमर का शिकार हो रही हैं.

Tumor in Women in Himachal
हिमाचल में महिलाओं में बढ़ा रसौली का खतरा

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 2, 2023, 2:14 PM IST

Updated : Dec 2, 2023, 6:35 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में कम उम्र की महिलाओं में भी रसौली यानी की ट्यूमर की समस्या पेश आ रही है. हिमाचल प्रदेश के महिला एवं शिशु रोग अस्पताल में इस साल अब तक महिलाओं में ट्यूमर के करीब 78 मामले आ चुके हैं. इनमें 16 से लेकर 50 साल तक उम्र की महिलाएं शामिल हैं. केएनएच अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में एचओडी डॉ. बिशन धीमान ने बताया किकेएनएच अस्पताल में हर उम्र की महिलाओं में रसौली पाई जा रही है.

डॉ. बिशन धीमान ने बताया कि अब 30 से कम उम्र की महिलाओं को भी रसौली की समस्या ज्यादा हो रही है. इससे पहले 30 से ज्यादा उम्र की महिलाओं में ही रसौली होती थी. रसौली दो प्रकार की होती है कैंसर और बीना कैंसर के. 30 से कम उम्र की महिलाओं में रसौली में कैंसर होने की कम संभावना होती है. जबकि 40 से 45 साल की महिलाओं में रसौली से कैंसर की संभावना ज्यादा होती है. डॉ. बिशन धीमान ने बताया कि रसौली दवाई या ऑपरेशन के जरिए निकाली जाती है और इसका इलाज केएनएच अस्पताल में निशुल्क है.

क्या होती है रसौली (ट्यूमर): रसौली गर्भाशय की दीवार में उत्पन्न होने वाली असामान्य गांठ होती है. यह कई महिलाओं में पाई जाती है. अगर इसका आकार छोटा होगा तो इससे दर्द नहीं होता. यह तब होती है जब गर्भाशय की मांसपेशियां अत्यधिक वृद्धि करती हैं.

महिलाओं में ट्यूमर के प्रकार-डॉ. बिशन धीमान के अनुसार महिलाओं में ट्यूमर के तीन प्रकार पाए जाते हैं. बिनाइन ट्यूमर, मैलिग्नेंट ट्यूमर और बॉर्डरलाइन ट्यूमर.

बिनाइन ट्यूमर (कैंसर रहित):डॉ. बिशन धीमान के अनुसार बिनाइन ट्यूमर भी तीन प्रकार का होता है.पहला म्योमा, यह सबसे आम तरह की रसौली होती है, जो गर्भाशय की मांसपेशियों में उत्पन्न होती है, इसे फाइब्रॉएड्स भी कहा जाता है. दूसरा सिस्टस, यह ओवेरियन सिस्टस के रूप में जानी जाती है और यह अंडाशय में पाई जाती है. तीसरा पॉलिप्स, यह गर्भाशय की अंदरुनी परत पर उत्पन्न होती है और यह छोटे आकार की होती है.

मैलिग्नेंट ट्यूमर: डॉ. बिशन धीमान के अनुसार जब रसौली कैंसर के रूप में विकसित होती है तो इसे मैलिग्नेंट रसौली कहा जाता है. यह अधिक घातक होती है और इसमें फौरन इलाज की जरूरत होती है.

बॉर्डरलाइन ट्यूमर:डॉ. बिशन धीमान के अनुसार रसौली के इस प्रकार में कैंसर की संभावना होती है, लेकिन वह सामान्यतः बेनिग्न होते हैं.

रसौली के कारण: डॉ. बिशन धीमान के अनुसार महिलाओं में ट्यूमर होने के कई कारण हैं. जैसे की एस्ट्रोजन हार्मोन की ज्यादा मात्रा, जेनेटिक कारण, गर्भनिरोधक गोलियों का ज्यादा सेवन, मोटापा, असंतुलित खानपान, कम पानी पीना, पीरियड्स का सही समय पर ना आना महिलाओं में रसौली आने के मुख्य कारण हैं.

महिलाओं में रसौली के कारण

रसौली के लक्षण: डॉ. बिशन धीमान के अनुसार रसौली होने पर महिलाओं में विभिन्न प्रकार के लक्षण नजर आते हैं. जैसे की पेट के नीचे के हिस्से में भारीपन और दर्द, पीरियड्स में ज्यादा खून आना, अनियमित पीरियड्स, कमजोरी महसूस होना, पेशाब रुक-रुक कर आना, अचानक वजन बढ़ना, पाचन सम्बन्धी समस्याएं औन एनीमिया आदि महिलाओं में रसौली होने के मुख्य लक्षण हैं.

महिलाओं में रसौली के लक्षण

रसौली से बचाव: डॉक्टर बिशन धीमान ने कहा कि रसौली से बचाव बेहद जरूरी है. रसौली के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल में चेकअप करवाएं. अगर इसका समय पर पता चलेगा तो दवाइयों से भी इसे ठीक किया जा सकता है. अगर रसौली का आकार बड़ा होगा तो ऑपरेशन से ही इसे निकाला जा सकता है. जिनका ऑपरेशन हो जाता है, उन्हें भी अपने खानपान का खास ख्याल रखने की जरूरत है. रसौली का ऑपरेशन होने के बाद मरीज को हल्का और पौष्टिक खाना खाने व एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है. उन्हें समय पर दोबारा चेकअप करने के लिए भी कहा जाता है.

ये भी पढ़ें:MP Tumor Operation: इंदौर में हैरतअंगेज ऑपरेशन, कई महीनो से पेट दर्द से परेशान थी महिला, डॉक्टरों ने पेट से निकाला 15 किलो का ट्यूमर

Last Updated : Dec 2, 2023, 6:35 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details