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देवभूमि के मंदिरों में खरबों का खजाना, चिंतपूर्णी मंदिर के पास क्विंटल सोना, अरब रुपए की एफडी

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Published : Feb 29, 2020, 3:32 PM IST

देवभूमि हिमाचल के मंदिर अपनी संपन्नता के लिए जाने जाते हैं. जिनके खजाने में सोने चांदी से लेकर अरबों रुपये की नकदी भी जमा है.

Treasures of trillions in the temples of himachal
देवभूमि के मंदिरों में खरबों का खजाना

शिमला:देवभूमि हिमाचल की सरकार बेशक कर्ज में डूबी है, लेकिन यहां के मंदिरों के पास खरबों रुपये की संपत्ति और आभूषण है. हिमाचल सरकार की तरफ से अधिगृहित 35 मंदिरों के खजाने में अरबों रुपये बैंक जमा के तौर पर है. प्रदेश के मंदिरों के पास नगदी के साथ-साथ ही सोना-चांदी का भी भंडार है.

प्रसिद्ध शक्तिपीठ चिंतपूर्णी माता का मंदिर खजाने के मामले में सबसे ऊपर है. मंदिर ट्रस्ट के पास एक अरब रुपये से अधिक की एफडी है. सिर्फ इतना ही नहीं मंदिर प्रशासन के पास एक क्विंटल से अधिक सोना भी है.

माता नैना देवी, बिलासपुर

इसी तरह शक्तिपीठ मां नैना देवी के पास भी खजाने की कमी नहीं है. मंदिर के पास 58 करोड़ रुपये से अधिक की एफडी और एक क्विंटल से अधिक सोना है. हिमाचल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के सवाल के लिखित जवाब में सामने आई जानकारी के अनुसार मंदिरों की संपत्ति खरबों रुपये में है. सरकार ने प्रदेश के विभिन्न जिलों के कुल 35 मंदिर अधिगृहित किए है.

माता ज्वाला जी, कांगड़ा

सदन में सामने आई जानकारी के मुताबिक बिलासपुर जिला के शक्तिपीठ मां श्री नैनादेवी के खजाने में 11 करोड़ रुपये से अधिक नकद है. चिंतपूर्णी मां के खजाने में सबसे अधिक संपन्नता है. चिंतपूर्णी मंदिर एक अरब रुपये से अधिक की एफडी के साथ मंदिर के पास एक क्विंटल 98 किलो सोना है. मंदिर ट्रस्ट के पास 72 क्विंटल चांदी भी है.

माता चिंतपूर्णी, ऊना

अगर बात प्रदेश के अन्य शक्तिपीठों की करे तो मां ज्वालामुखी के पास 23 किलो सोना, 8.90 क्विंटल चांदी के अलावा 3.42 करोड़ रुपये की नकदी है. कांगड़ा के शक्तिपीठ मां चामुंडा के पास 18 किलो सोना है. सिरमौर के त्रिलोकपुर में मां बालासुंदरी मंदिर के पास 15 किलो सोना और 23 क्विंटल से अधिक चांदी है. चंबा के लक्ष्मीनारायण मंदिर के पास भी 15 किलो सोना और करोड़ों रुपय की संपत्ति है. दुर्गा मंदिर हाटकोटी के पास 4 किलो सोना, 2.87 करोड़ की एफडी और 2.33 करोड़ रुपये की नकदी है.

माता ब्रजेश्वरी, कांगड़ा

आपको बता दें कि इन मंदिरों की संपत्ति से साधनहीन परिवारों की कन्याओं के विवाह को भी आर्थिक मदद दी जाती है. इसके अलावा मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण, सुविधाओं के विस्तार पर खर्च किया जाता है. मंदिर ट्रस्ट का मुखिया डीसी होता है. हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान साल 2018 में राज्य सरकार ने ब्यौरा दिया था कि दस साल में हिमाचल के 12 मंदिरों में 361 करोड़ रुपये का चढ़ावा आया था. वहीं, अगस्त 2016 के आंकड़ों के अनुसार ऊना जिला चिंतपूर्णी के पास सबसे अधिक 95 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस है.

चिंतपूर्णी के साथ प्रदेश के 36 मंदिरों के पास भी भारी खजाना है। तब के आंकड़ों के अनुसार इन 36 अधिसूचित मंदिरों में 2 अरब, 84 करोड़, 26 लाख, 27 हजार 495 रुपए बैंक बैलेंस था। इसके अलावा इन मंदिरों के पास एक क्विंटल तीस किलो से अधिक सोना और 27 क्विंटल, 72 किलो से अधिक चांदी थी. उस समय के आंकड़ों के अनुसार यानी चार साल पहले नैना देवी मंदिर बिलासपुर की संपत्तियों में 54 किलो सोना और 44 करोड़ रुपये से अधिक बैंक जमा के तौर पर था. इसी जिला की जमीन पर स्थित बाबा बालकनाथ की तपोभूमि शाहतलाई के विभिन्न मंदिर समूहों के पास 10.5 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक बैलेंस है.

गौर रहे कि मंदिरों का बीस फीसदी सोना स्टेट बैंक की गोल्ड बांड स्कीम में प्रयोग होता है. पचास फीसदी सोने के बिस्किट और सिक्के बनाकर श्रद्धालुओं को मार्केट रेट पर दिए जाने का प्रावधान है. इसके अलावा 20 फीसदी सोना मंदिरों में रिजर्व रखा जाता है.

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