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ठियोग के गड़ाकुफर में प्रुनिंग के लिए आयोजित किया गया ट्रेनिंग कैंप - ठियोग में प्रुनिंग के लिए कैंप का आयोजन

ठियोग के गड़ाकुफर में नवयुवकों ने निजी कंपनियों के सहयोग से एक कैंप का आयोजन किया. इस कैंप में सेब की प्रुनिंग के बारे में जानकारी हासिल की.

pruning Training camp in Gadakufar Theog
गड़ाकुफर में प्रुनिंग के लिए आयोजित किया गया ट्रेनिंग कैंप

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Published : Dec 4, 2019, 9:51 PM IST

शिमला: सर्दियों का मौसम शुरू होते ही बागवानी का काम भी अभी से शुरू हो गया है. इन दिनों जहां प्रदेश में ठंड पड़ रही है वहीं अब सेब के बगीचों में पौधों के कांट छांट का काम भी शुरू हो गया है. सेब की प्रुनिग कैसे की जाये जिससे सेब की पैदावार, गुणवत्ता और पौधों का रख-रखाव ठीक हो सके इसके लिए इन दिनों बागवान सेब की प्रुनिंग के लिए विशेषज्ञों की राय भी ले रहे हैं.

इसी कड़ी में ठियोग के गड़ाकुफर में नवयुवकों ने निजी कंपनियों के सहयोग से एक कैंप का आयोजन किया जिसमें कोटखाई के प्रगतिशील बागवान डिम्पल पांजटा ने शिरकत की. इस दौरान मतियाना ब्लॉक की 12 पंचायत के युवकों ने भाग लिया और सेब की प्रुनिग के बारे में जानकारी हासिल की.

युवाओं का कहना है कि सेब की कटिंग कैसे की जाए इसके बारे में विभाग अभी तक बागवानों तक जानकारी देने में विफल रहा है. इसके चलते अब युवा अपने स्तर पर पैसा खर्च कर के प्रगतिशील बागवानों से जानकारी हासिल कर रहे हैं जिससे लोगों को बहुत फायदा हो रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

वहीं इस कैंप में प्रुनिग की जानकारी देते प्रगतिशील बागवान डिपंल पांजटा ने कहा कि सेब के पौधों के लिए प्रुनिंग और ट्रेनिंग की बहुत ज्यादा जररूत होती है. सेब की प्रुनिंग के लिए लोगों को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. प्रुनिंग का सही समय फरवरी और मार्च में रहता है.

उन्होंने कहा कि अगर अभी सेब की कटिंग की जाए तो उसका घाव 5 महीने तक भर नहीं पाता. इससे सेब के पौधों को नुकसान हो सकता है, लेकिन फरवरी मार्च में कटिंग करने से सेब के पौधों को कम नुकसान होता है. साथ ही सेब में पड़े गहरे घाव भी जल्द भर जाते है.

डिपंल पांजटा ने कहा कि बर्फबारी से सेब के पौधों को बचाने के लिए कुछ टहनियों की कांट छांट की जा सकती है, लेकिन उसमें भी समय पर दवाई का पेस्ट करना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि समय पर दवाई का छिड़काव किया जाना चाहिए जिससे सेब के पौधों को नुकसान न हो.

आपको बता दें कि सर्दियों के समय सेब की पत्तियों के झड़ने के साथ ही लोग प्रुनिंग का काम शुरू कर देते हैं. हालांकि बागवानी विभाग भी इस बारे में लोगों को जानकारी देता है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर अभी तक विभाग प्रुनिंग कैंप नहीं लगा पा रहा है. इससे युवा बागवानों को अपने स्तर पर पैसा खर्च कर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने पड़ रहे है, जिससे सेब की अच्छी पैदावार हो सके.

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