शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला सहित अन्य इलाकों में बंदरों व कुत्तों के हिंसक व्यवहार से दहशत का माहौल है. शिमला में बीते दिनों बंदरों के हमले से डरी एक युवती की लैंटर से गिरने पर मौत हो गई थी. हिमाचल हाई कोर्ट में विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से अदालत से आग्रह किया गया है कि बंदरों व कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए सरकार को उचित दिशा-निर्देश दिए जाएं. इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिकाओं की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एनिमल वेलफेयर बोर्ड की सलाह लेने के साथ ही आंध्र मॉडल स्टडी करने को भी कहा है. अदालत ने कहा कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर परिसर से बंदरों की दहशत को खत्म कर दिया है.
आंध्र प्रदेश की संबंधित अथॉरिटीज ने इस काम को कैसे किया, हिमाचल प्रदेश सरकार को उनके मॉडल को स्टडी करना चाहिए. इसके अलावा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को और भी सुझाव दिए हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने बंदरों व कुत्तों के आतंक को खत्म करने को लेकर अदालत में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई में आदेश जारी कर कहा कि इसके लिए एनिमल वेलफेयर बोर्ड राज्य सरकार को व्यवहारिक सुझाव दे.
हाई कोर्ट ने कहा कि बंदर व कुत्ते सदियों से इंसान के साथ रहते आए हैं, लेकिन समय के इस दौर में इनके उत्पात के कारण राज्य के निवासियों को डर का सामना करना पड़ रहा है. इनके हिंसक व्यवहार से लोगों की मौत तक हो रही है. हाई कोर्ट ने प्रदेश भर के शहरों और ग्रामीण इलाकों में बंदरों के उत्पात और आवारा कुत्तों के आतंक से बचाव से जुड़े मुद्दों को लेकर लंबित जनहित याचिकाओं में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले पशु कल्याण बोर्ड को पक्षकार बनाया था.