रामपुर:अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश रामपुर ने एक अहम फैसला सुनाते हुए नवजात शिशु का गला घोटकर मारने के आरोप में तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने दोषियों पर 2 लाख का जुर्माना भी लगाया है. फैसले की जानकारी देते हुए उप जिला न्यायवादी कमल चन्देल ने बताया कि 25 मार्च 2017 को एक महिला आरोपी लीमा को पेट में दर्द के चलते अस्पताल लाया गया. जिस पर डियूटी पर हाजिर डॉ० ने उसे जांचा व आबजर्वेशन हेतू अस्पताल में बेड पर सुला दिया. लेकिन दर्द के अधिक होने की सुरत में डॉ. उसे लेबर रूम ले गए. जहां पर आरोपी लीमा ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया.
कुछ समय बाद बच्ची व मां (लीमा) को जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था. तब तक आरोपी लीमा की मां भी अस्पताल पहुंच गई थी. उसके बाद नवजात बच्ची की दादी भी अस्पताल पहुंची और तीनों ने आपस में सलाह मशविरा करके नवजात को मारने का प्लान बनाया. दादी को दरवाजे पर खड़ा रखा गया और नानी ने बच्ची के मुंह पर कपड़ा डाल कर उसे मौत के घाट उतार दिया. नर्स जब बच्ची को देखने आई तो बच्ची की सांसे नहीं चल रही थी. जिसके बाद तुरंत डॉक्टर को बुलाया गया.
जब डॉक्टर ने बच्ची को देखा, तो उन्हें उसकी मृत्यु पर संदेह हुआ. क्योंकि नवजात के गले में नीले निशान पड़े हुए थे. उन्होंने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी और नवजात को पोस्टमार्टम के लिए आईजीएमसी शिमला रैफर किया गया. जिसमें नवजात की मृत्यु गला घोंटने के कारण होना पाई गई. जिसके बाद तीनों दोषियों को गिरफ्तार करके पुछताछ अमल में लाई गई. इस तरह नवजात बच्ची को मारने का कारण यह था कि शादी के महज 38 दिनों के बाद ही लीमा ने बच्ची को जन्म दिया था. ऐसे में समाज में बेईज्जती न हो, इसके लिए तीनों ने मिल कर नवजात को मौत के घाट उतार दिया.
डीएनए में इस बात की पुष्टी भी हुई है कि नवजात का पिता लीमा का पति नहीं था. इसलिए इन सब बातों को लेकर यह लोग नवजात बच्ची से छुटकारा पाना चाहते थे. अदालत में 20 गवाहों के बयान कलमबद्ध किए हैं. सभी गवाहों के बयान व वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने यह सजा सुनाई है. सरकार की तरफ से मुकदमों की पैरवी उप जिला न्यायवादी कमल चंदेल व उप जिला न्यायवादी के एस जरयाल ने की.
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