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पांडवों और कौरवों के युद्ध का प्रतीक माना जाता है ये खतरनाक खेल, बाणों की तेज धार को सहते हैं खिलाड़ी - himahchal pradesh

महाभारत के युद्ध में हुई कौरवों और पांडवों की लड़ाई का प्रतीक माना जाने वाला ठोडा खेल दो दलों के बीच खेला जाता है, जिसमें धनुष और बाण का इस्तेमाल किया जाता है. ठियोग के मतियाना में तीन दिन से चल रहा ठोडा मेला सोमवार को संपन्न हो गया.

ठोडा खेल खेलते खिलाड़ी.

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Published : Jun 18, 2019, 6:43 AM IST

शिमला: हर साल की तरह इस साल भी प्रदेश का ठोडा खेल बड़ी धूमधाम और रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया. मेले में महाभारत के युद्ध से प्रेरित ठोडा खेल खेला जाता है, जिसमें धनुष के तीर बरसते हैं. ये खेल मुख्य रूप से दो दलों के बीच खेला जाता है. इन दलों को शाठी ओर पाशी के नाम से जाना जाता है. शाठी दल कौरवों का माना जाता है और पाशी दल पांडवों को कहा जाता है. खिलाड़ी तीर की तेज धार को सहते हैं. ये खतरनाक खेल ढोल-नगाड़ों की थाप पर खेला जाता है.

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इस खेल के दौरान दोनों टीमों के खिलाड़ी विशेष पारंपरिक वेषभूषा में नाचते-गाते ढोल नगाड़ों की थाप पर एक-दुसरे पर जमकर प्रहार करते हैं, जिसमें घुटनों के नीचे तीर का निशाना लगना उचित माना जाता है. खेल के दौरान दोनों दल बारी-बारी से एक दूसरे पर निशाना साधते हैं.

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बेहद जोखिम भरे इस खेल में अनुशासन का बेहतरीन तालमेल देखने को मिलता है. मतियाना के खेल मैदान मे मां माहेश्वरी पारंपरिक सांस्कृतिक ठोडा दल एवं कल्याण समिति शडी मतियाना द्वारा ये मेला आयोजित किया गया. मेले के समापन पर ठोडा दल शाठी नगेइक बलसन और ठोडा दल पाशी कडैल हिमरी कोटखाई के खुदों ने पारंपरिक ठोडा नृत्य कर तीर कमान का जौहर दिखाया और जमकर एक-दूसरे पर बाण चलाए. मेले में उपस्थित जनता ने धनुष-बाण के इस परंपरागत मेले का लुत्फ उठाया.

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