शिमलाः प्रदेश के सरकारी स्कूलों (government schools) में यौन शोषण (sexual abuse) मामलों के आरोपी शिक्षकों (accused teachers) को बर्खास्त (dismissed) किया जाएगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) ने शिक्षा विभाग (education Department) से 3 दिनों के भीतर ऐसे आरोपी शिक्षकों की रिपोर्ट तलब की है, जो यौन शोषण के आरोपी हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का मानना है कि प्रदेश के स्कूलों में ऐसी मानसिकता वाले शिक्षकों की कोई जगह नहीं है. आमतौर पर ऐसी शिकायतें या तो विभागीय कार्रवाई या कमेटी की वजह से ठंडे बस्ते में चल जाती हैं, लेकिन अब इन आरोपी शिक्षकों पर गाज गिरना तय है.
प्रदेश पुलिस ने बीते 10 साल में 52 शिक्षकों के विरुद्ध पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज की है. साल 2020 में डीजीपी संजय कुंडू (Sanjay Kundu) ने यौन उत्पीड़न के मामलों में संलिप्त शिक्षकों के लिए अलग लिस्ट तैयार कर अपराधिक डाटा संग्रहित करने की बात कही थी.
शिमला के रोहडू में शिक्षक पर 8 छात्राओं से छेड़छाड़ का आरोप लगा था. शिकायत मिलते शिक्षा विभाग ने उसे सस्पेंड कर दिया. मामला हाईकोर्ट (High Court) तक भी पहुंचा. फिलहाल आरोपी जमानत पर है. इसी तरह शिमला शहर के मेफील्ड में भी एक शारीरिक शिक्षक को छात्राओं से अभद्र छेड़छाड़ पर बर्खास्त किया गया था. इसके अलावा साल 2017 में हमीरपुर जिले के भरेड़ी सीनियर सेकेंडरी स्कूल (senior secondary school) के प्रिंसिपल पर अपने ही स्कूल की छात्रा से छेड़खानी का आरोप लगा.
बाद में प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया गया. 30 दिन जेल में रहने के बाद प्रिंसिपल को जमानत मिली. हाईकोर्ट ने प्रिंसिपल (principal) को जमानत देते हुए हिदायत दी कि वह हमीरपुर जिले में प्रवेश नहीं करेगा. छेड़खानी से तंग आकर छात्र ने स्कूल में गठित यौन उत्पीड़न कमेटी को लिखित में शिकायत दी थी. शिकायत में छात्रा ने कहा था कि प्रिंसिपल अपने वाहन में बिठाकर उस पर अभद्र टिप्पणी करता था. पुलिस ने मामला दर्ज किया था.
इसके बाद छात्रा के परिजनों ने स्कूल में प्रदर्शन भी किया. गुस्साए लोगों ने प्रिंसिपल की पिटाई तक की थी. पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए मामले पर शिक्षा विभाग ने प्रिंसिपल को सस्पेंड किया. हमीरपुर जिले की पुलिस ने मामला दर्ज कर प्रधानाचार्य को गिरफ्तार किया था. हैरानी की बात है कि खुद स्कूल में यौन उत्पीड़न कमेटी का गठन किया गया था. कुछ समय पहले कमेटी के सदस्यों ने स्कूल की छात्राओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया, तो उसी दौरान एक छात्रा ने प्रधानाचार्य की शिकायत कमेटी के समक्ष कर दी.
12वीं में पढ़ने वाली छात्रा ने 57 वर्षीय प्रधानाचार्य के खिलाफ शिकायत की. शिकायत में छात्रा ने कहा कि जब अपने गांव से स्कूल के लिए आती थी, तो अपनी गाड़ी में बिठा लेता था. पहली बार तो स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को भी बिठाया, लेकिन बाद में वह लड़की को अकेले गाड़ी में बैठने के लिए मजबूर करता था.
इसके अलावा हमीरपुर के भोरंज में भी पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया. इससे पहले चंबा, बिलासपुर (bilaspur) और शिमला (Shimla) में भी केस सामने आए. हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज (Suresh Bhardwaj) ने जब कार्यभार संभाला था, तो ऐसी शिकायतों पर सख्त एक्शन के निर्देश जारी किए थे. स्कूल में लड़कियों के प्रति छेड़छाड़ रोकने के लिए आरोपी को तुरंत नौकरी से हटाने के आदेश हैं. पॉक्सो से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेशों के अनुरूप 24 घंटे में प्राथमिकी दर्ज होती है.
बता दें कि लाहौल स्पीति जिले में 3 साल से रेप का कोई मामला सामने नहीं आया है. सुप्रीम कोर्ट का 2019 का आदेश है कि पॉक्सो के मामलों के लिए जिला स्तर पर अदालतों का गठन किया जाए, जहां ऐसे मामलों की संख्या 100 तक हो. फिलहाल प्रदेश में विगत 3 साल से पक्षों के करीब 200 से मामले सामने आए हैं. इससे पहले साल 2016 में 54 मामले दर्ज किए गए थे. यह आंकड़ा नेशनल क्राइम ब्यूरो (National Crime Bureau) की ओर से जारी किया गया.
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