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प्री फैब दुकानों का शहरी विकास मंत्री ने किया उद्घाटन, दुकानदारों को सौंपी चाबियां - शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज

राजधानी शिमला में स्मार्ट सिटी के तहत सब्जी मंडी में प्री फैब तकनीक से बनाई गई तीन दुकानें दुकानदारों को सौंप दी हैं. रविवार को शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इन दुकानों का उद्घाटन कर दुकानदारों को चाबियां सौंपी गई. इसके अलावा अन्य दुकानों का कार्य भी शुरू किया गया है और 31 दिसंबर तक इन दुकानों का कार्य पूरा कर लिया जाएगा. समार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जहा शहर में पार्किंग पार्क और नगर निगम अपनी दुकानों का कायाकल्प कर रहा है, जिसमें 467 दुकानों को प्री फैब की तकनीक से बनाया जा रहा है.

suresh bhardwaj
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Published : Nov 22, 2020, 3:10 PM IST

शिमला:राजधानी शिमला में स्मार्ट सिटी के तहत सब्जी मंडी में प्री फैब तकनीक से बनाई गई तीन दुकानें दुकानदारों को सौंप दी गई हैं. रविवार को शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इन दुकानों का उद्घाटन कर दुकानदारों को चाबियां सौंपी गई.

इस मौके पर स्मार्ट सिटी के सीईओ आबिद हुसैन, नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल, आयुक्त आशीष कोहली सहित पार्षद मौजूद रहे. पहले चरण में तीन दुकानें बनाई गई और सब्जी मंडी में 65 दुकानों का काम भी शुरू किया जा रहा है.

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट अब जमीन पर उतरने शुरू हो गए हैं. राजधानी की दुकानें प्री फैब तकनीक से बनाई जा रही है. पहले चरण में तीन दुकानें बन कर तैयार हो गई हैं और आज इन्हें दुकानदारों को सौंप दिया गया है. इसके अलावा अन्य दुकानों का कार्य भी शुरू किया गया है और 31 दिसंबर तक इन दुकानों का कार्य पूरा कर लिया जाएगा.

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सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शहर में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के कार्य पूरा करने का अभी दो साल हैं. ऐसे में इन्हें जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. अधिकतर प्रोजेक्टों के टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई और काम भी शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि तह समय के भीतर ही सभी कार्यों को पूरा किया जाएगा.

बता दें कि शिमला शहर 2017 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल हुआ है. इस प्रोजेक्ट के तहत जहा शहर में पार्किंग पार्क और नगर निगम अपनी दुकानों का कायाकल्प कर रहा है, जिसमें 467 दुकानों को प्री फैब की तकनीक से बनाया जा रहा है.

क्या है प्री फैब तकनीक

यह दरअसल स्लैबों को अलग से तैयार कर उन्हें एक साथ जोड़ देने की तकनीक है. निर्माण स्थल से कहीं दूर प्लांट लगाकर, वहां रेनपोस्ट सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) के स्लैब तैयार किए जाते हैं. उन्हीं स्लैबों को निर्माण स्थल तक पहुंचाया जाता है. पिलर बनने के बाद स्लैबों को एक-दूसरे के साथ जोड़कर दीवारें और छत तैयार की जाती हैं. हर तल पर इसी तरह निर्माण किया जाता है.

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