शिमला: डीडीयू अस्पताल में कोरोना संक्रमित महिला के आत्महत्या मामले में पद से हटाए जाने के बाद अस्पताल के कार्यकारी एमएस ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. निलंबित एमएस डॉक्टर लोकेंद्र शर्मा ने इस दौरान जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और सरकार पर भड़ास निकालते हुए कई सवाल खड़े किए.
डॉ. शर्मा ने आरोप लगाया कि जिस दिन महिला ने आत्महत्या की उस रात उन्होंने डीसी शिमला और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी आरडी धीमान को फोन किया था मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि दोनों अधिकारियों को पांच-पांच बार फोन किया, लेकिन उन्होंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का रवैया इस मामले में उनके प्रति नकारात्मक रहा है, जिससे उनके स्टाफ का मोराल डाउन हुआ है. डॉ. शर्मा ने कहा कि डीडीयू सिर्फ दो जिलों के मरीजों के लिए कोविड अस्पताल है, लेकिन यहां पूरे प्रदेश के मरीजों को भेजा जा रहा है.
डॉ. लोकेंद्र शर्मा ने कहा कि मुझ पर जो कार्रवाई बनती है, मैं उसके लिए तैयार हूं. उन्होंने मामले में सफाई देते हुए कहा कि मेरी बहन की डेथ हुई थी और मैं हरिद्वार गया हुआ था. मुझे इस घटना के बारे में पता तब चला जब में हरिद्वार से वापिस आ रहा था. महिला ने जब आत्महत्या की तो मेरी इस बारे में एसडीएम और पुलिस से बात हो चुकी थी.
डॉ. शर्मा ने कहा कि उस रात पुलिस की वजह से डेड बॉडी को निकालने में देरी हुई. हम पुलिस का काफी देर तक इंतजार करते रहे. जब पुलिस नहीं पहुंची तो हमने ये निर्णय लिया कि हम डेड बॉडी की वीडियोग्राफी कर उसे सम्मान के साथ शवगृह में रखा गया.
उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम से उनका भी मोराल डाउन हुआ है. कोरोना काल में उन्होंने कम स्टाफ के बलबूते पूरे प्रदेश भर के मरीजों का इलाज किया, इसे लेकर एसीएस हेल्थ के समक्ष स्टाफ की कमी का मामला भी रथा था, लेकिन हल नहीं निकला.
डॉ. शर्मा ने कहा कि उन्हें जांच में मालूम हुआ है कि महिला मानसिक रोगी भी थी. अस्पताल में उसका इलाज सही तरीके से चला हुआ था, लेकिन उसने ये फैसला क्यों लिया इसका पता जांच में चलेगा.