शिमला:हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र लाने का ऐलान किया है. मार्च महीने में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था उनकी सरकार वित्तीय हालत पर व्हाइट पेपर लाएगी. फिर विधानसभा में बजट सत्र के दौरान भी नियम-130 के तहत चर्चा के जवाब में सीएम सुखविंदर सिंह ने कहा था कि कांग्रेस सरकार श्वेत पत्र लाकर सच्चाई जनता के समक्ष रखेगी. अब बुधवार को कैबिनेट मीटिंग में सरकार ने हिमाचल की आर्थिक हालत को लेकर व्हाइट पेपर लाने का फैसला लिया. इसके लिए बाकायदा कमेटी का गठन किया गया है. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की अगुवाई में कमेटी बनाई गई है.
हिमाचल पर 75 हजार से ज्यादा कर्ज :हिमाचल पर इस समय 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. हालत ये है कि सीएम का पद संभालने के बाद सुखविंदर सिंह ने यहां तक बयान दे दिया था कि हिमाचल श्रीलंका बनने की राह पर है. कर्ज को लेकर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे की सरकार को जिम्मेदार बताते रहे हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि दोनों ही सरकारों ने कर्ज लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. इस समय हालत ये हैं कि कांग्रेस सरकार को नए वेतन आयोग के लागू होने के बाद एरियर की देनदारी चुकानी है. ये कम से कम 9 हजार करोड़ रुपए बनते हैं. इसके अलावा डीए की बकाया किश्तों व एरियर को चुकाने के लिए भी करोड़ों रुपए चाहिए. आलम ये है कि बजट का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च हो जाता है. खजाने को राहत देने के लिए सरकार ने वाटर सेस लगाने का फैसला लिया, लेकिन उसके रास्ते में भी अड़चन आ रही है. कर्मचारियों को एरियर व अन्य वित्तीय लाभ देने का सरकार पर बहुत दबाव है. इसी प्रेशर को रिलीज करने के लिए शायद सुखविंदर सिंह सरकार ने श्वेत पत्र का दांव खेला है.
ये है हिमाचल की वित्तीय स्थिति:हिमाचल सरकार पर इस समय 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. आंकड़ों पर नजर डालें तो हिमाचल पर वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत में 68 हजार 630 करोड़ रुपए का कर्ज था. तब इस कुल कर्ज में 45 हजार 297 करोड़ रुपए मूल कर्ज था और 23333 करोड़ रुपए ब्याज की देनदारी के रूप में था. हिमाचल की स्थिति ये है कि सरकार को कर्ज पर चढ़े ब्याज को चुकाने के लिए भी लोन लेना पड़ रहा है. कैग रिपोर्ट में भी दर्ज है कि आगामी 5 साल के भीतर राज्य सरकार को 27,677 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के कर्ज का आंकड़ा लें तो एक साल में ही कुल लोन का 10 प्रतिशत यानी 6992 करोड़ एक साल में अदा करना है. राज्य सरकार को अगले 2 से 5 साल की अवधि में कुल लोन का 40 फीसदी यानी 27677 करोड़ रुपए चुकाना है. इसके अलावा अगले 5 साल के दौरान यानी 2026-27 तक ब्याज सहित लोक ऋण की अदायगी प्रति वर्ष 6926 करोड़ होगी.